यह भी पढ़ेंः खुशखबरीः ग्रेजुएशन में प्रवेश के लिए यूपी बोर्ड के छात्र-छात्राआें को मिली राहत, इतना कोटा तय हुआ यह भी पढ़ेंः वर्दी वालों ने अपने ही साथियों के काट दिए इतने चालान, पहले रौब गालिब फिर इस तरह आए कब्जे में रोजे के दौरान पाकिस्तानी मिसवाक बढ़ती है मांग मेरठ के कोतवाली, घंटाघर समेत कर्इ जगहों पर पाकिस्तानी मिसवाक की अधिक डिमांड रहती है। व्यापारी नौशाद अहमद कहते हैं कि वैसे तो पाकिस्तानी मिसवाक की बिक्री आमूमन आम दिनों में भी होती है, लेकिन रमजान के दिनों में इस मिसवाक की बिक्री बढ़ जाती है। वह प्रतिदिन 100 से 150 पाकिस्तान मिसवाक बेच लेते हैं। पाकिस्तान से आने वाली दातून ‘पीलू’ नाम की लकड़ी की बनी होती है। यह पेड़ पाकिस्तान के कराची, हिन्दुस्तान के राजस्थान और सउदी अरब में पाया जाता है। पाकिस्तानी से आने वाली दातून पतली और मुलायम होती है। पीलू मिसवाक की रमजान के दौरान बिक्री बढ़ जाती है। हिन्दुस्तान के राजस्थान में पाई जाने वाली ‘पीलू’ लकड़ी पाकिस्तान की मिसवाक की अपेक्षा काफी कठोर होती है। जिससे दांत साफ करने में परेशानी होती है।
यह भी पढ़ेंः हे राम! सौ करोड़ के कर्जदार की सम्पत्ति की नीलामी में भी हो गया घोटाला क्या है मिसवाक काजी जैनुस्साजिद्दीन के अनुसार वैसे तो हर नमाजी को नमाज से पहले मिसवाक करना चाहिए। अगर पीलू मिसवाक न मिल सके तो नीम की मिसवाक भी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि रमजान में रोजेदारों को वजू करने से पहले मिसवाक करना चाहिए। मिसवाक पैगंबर-ए-रसूल की सुन्नत है। नबी का आखिरी अमल भी मिसवाक ही था। हजरत अबू हरेरा से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ने फरमाया कि अगर मुझको अपनी उम्मत पर दुश्वार न लगता तो हर नमाज के बाद मिसवाक करने का हुकुम देता है। उन्होंने बताया कि मिसवाक करने के कई फायदे होते हैं। इसे करने से दांतों में कीड़े नहीं लगते। मसूड़े स्वस्थ्य रहते हैं। मिसवाक के एक-दो नहीं सैकड़ों लाभ हैं। मुंह में हमेशा खुशबू रहती है। दांतों में चमक रहती है।
यह भी पढ़ेंः बसपा के पूर्व विधायक पर लगी रासुका के बाद मेयर पत्नी ने भाजपा नेताआें आैर अफसरों पर लगाए ये गंभीर आरोप दंत चिकित्सक भी देते हैं सलाह दंत चिकित्सक डा. बीपी सिंह ने बताया कि मेडिकल साइंस ने भी इस मिसवाक के कई फायदे बताए हैं। मिसवाक करने वाले के मुंह में बैक्टीरिया नहीं पनप पाते और मुंह के छाले होने पर उसमें लाभ मिलता है। उन्होंने बताया कि दातून से दांतों को प्राकृतिक रूप से सफाई होती है। नीम की दातून करने से कभी भी दांत में कीड़ा नहीं लगता।