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मेरठ

जंग ए आजादी के दौरान स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य केंद्र था मेरठ

जंग-ए-आजादी के दौरान देशभर का ऐसा कोर्इ नेता नहीं था, जो मेरठ नहीं आया आैर यहां सभा या रैली नहीं की।

मेरठAug 12, 2017 / 07:17 pm

sharad asthana

castle view

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 मेरठ। जंग-ए-आजादी के दौरान देशभर का ऐसा कोर्इ नेता नहीं था, जो मेरठ नहीं आया आैर यहां सभा या रैली नहीं की। इसकी वजह यह रही कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद से मेरठ स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य केंद्र बन गया था।
यहां महात्मा गांधी आैर पंडित जवाहर लाल नेहरू तीन-तीन दिन तक रुकते और बैठकें व रैली करते थे। सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, मोहम्मद अली जिन्ना जैसे बडे नेता स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां आए आैर लोगों में जोश भरा। यही नहीं आजादी मिलने के आठ महीने पहले विक्टोरिया पार्क में कांग्रेस अधिवेशन हुआ था, इसमें देश के बड़े नेता शामिल हुए थे। इसमें घोषणा की गर्इ थी कि कांग्रेस का अगला अधिवेशन स्वतंत्र भारत में होगा। कैसल व्यू, टाउन हाॅल, जिमखाना मैदान, विक्टाेरिया पार्क, मेरठ कालेज, आैघड़नाथ मंदिर समेत यहां कर्इ एेसे प्रमुख केंद्र रहे, जहां सभाआें के जरिए लोगों में स्वतंत्र भारत के लिए लोगों को प्रेरित किया।
कैसल व्यू

वेस्ट एंड रोड स्थित कैसल व्यू 1900 में नवाब मुस्तफा खान के बेटे नवाब मोहम्मद इशाक खान ने पिता के सम्मान में बनवाया था। आजादी की लड़ार्इ में यह वेस्ट यूपी का बड़ा केंद्र माना जाता था। यहां बड़े नेताआें की बैठकें हुर्इ। इनमें महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय, मोहम्मद अली जिन्ना, सरदार पटेल, विजय लक्ष्मी पंडित, गोविंद् वल्लभ पंत समेत कर्इ नेता शामिल रहे। बैठकों के साथ-साथ इन्होंने रैलियां भी की आैर लोगों में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जोश भरा।
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patrika IMAGE CREDIT: patrika
टाउन हाॅल

1880 दशक में टाउन हाॅल की स्थापना हुर्इ थी। शहर के बीचोंबीच होने से यहां रैलियों आैर सभाआें तक पहुंचने में शहर ही नहीं, आसपास के गांव के लोगों को पहुंचने में भी सुविधा होती थी। इसलिए आजादी को लेकर यहां सबसे ज्यादा सभाएं हुर्इ। यहां सुभाष चंद बोस 1941 में आए थे आैर लोगों में गजब का जोश भरा दिया। यहां तक की जब वह भाषण दे रहे थे, तभी घंटाघर में लगा सायरन बोल पड़ा। नेताजी ने कहा था कि यह सायरन ब्रिटिश हुकूमत के खत्म होने का समय है आैर इसके छह साल बाद ही देश को आजादी मिल गर्इ थी। महात्मा गांधी, जवाहर लाल, सरदार पटेल समेत कर्इ आजादी की जंग के नेताआें ने यहां सभाएं की आैर अपने शब्दों से लोगों में जोश भर दिया था।
जिमखाना मैदान

जिमखाना मैदान बड़ा होने से यहां बड़ी सभाएं हुर्इ। शहर के बीच में इस मैदान में काफी लोग पहुंचते थे, अपने नेताआें को सुनने। महात्मा गांधी, सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरूर, मदन मोहन मालवीय, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद समेत कर्इ बड़े नेताआें ने यहां जनसभाएं की आैर लोगों को ब्रिटिश राज के खिलाफ आंदोलन में जुड़ने का आह्ववान किया।
मेरठ कालेज, विक्टोरिया पार्क

असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने मेरठ कालेज में भी सभा की थी। इस सभा के बाद मेरठ कालेज के छात्र-छात्राएं इस आंदोलन से जुड़े थे। यहां गांधी जी कर्इ बार आए। मेरठ कालेज के खेल मैदान विक्टोरिया पार्क को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय ब्रिटिश अफसरों ने जेल बना रखी थी। कैदियों को छुड़ाने के बाद यहां लोगों ने दीवारें वगैरह सब तोड़ दी थी। बाद मेंं यह आजादी के लिए होने वाली सभा का प्रमुख केंद्र भी बना गया। 20 से 26 नवंबर 1946 को यहां कांग्रेस का आखिरी अधिवेशन हुआ। इसमें घोषणा की गर्इ थी कि अगला अधिवेशन स्वतंत्र भारत में होगा आैर यहां तब स्वतंत्र भारत के गणतंत्र पर भी चर्चा हुर्इ थी।
आैघड़नाथ मंदिर

देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय काली पल्टन मंदिर से मशहूर आैघड़नाथ मंदिर में भारतीय सैनिक आराम करने आते थे, यहां एक कुंआ भी था, जो अब बंद कर दिया गया है। बताते हैं यहां एक फकीर रहते थे, जो भारतीय सैनिकों से अक्सर बातें करते थे। चर्बीयुक्त कारतूस की जब चर्चा चली, तो भारतीय सैनिकों को उन्होंने पानी पिलाने से मना कर दिया था। इससे भारतीय सैनिकों में चर्बीयुक्त कारतूस के प्रति आैर नफरत पैदा हो गर्इ थी।

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