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मौलाना शमशुद्दीन ने कहा कि इस मुद्दे की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गिरफ्तार किए गए कुछ लोग अनपढ़ नहीं थे, बल्कि मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन के स्नातक, चिकित्सा पेशेवर और राज्य सचिव शामिल थे। गिरफ्तार किए गए अधिकांश लोगों ने तालिबान को एक इस्लामी सेना के रूप में प्रस्तुत किया। यह जितना निराधार और बचकाना है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों के एक वर्ग के बीच तालिबान समर्थक भावनाओं के पीछे प्रमुख कारण कुछ प्रमुख संगठनों द्वारा चरमपंथी संगठन की सकारात्मक समीक्षा जिम्मेदार है। इस मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी और जमात ए इस्लामी हिंद के खिलाफ उलमाओं ने विरोध प्रकट किया। मौलाना काजी शहाबुद्दीन ने कहा कि काबुल हवाईअड्डे पर अपनी जान जोखिम में डालने वाले अफ़गानों की बढ़ती संख्या के साथ,यह बहुत कम संभावना है कि तालिबान कभी भी अफगानिस्तान की पूरी आबादी से पूर्ण आज्ञाकारिता, वफादारी का आदेश देगा।
मौलाना काजी शहाबुद्दीन ने कहा कि मार्गदर्शन, प्रेरणा के लिए प्रभावशाली पदों पर बैठे नेताओं की ओर देखना एक मानवीय स्वभाव है। जब तक तालिबान के हिंसक अतीत और उसके विभिन्न गैर-इस्लामिक प्रथाओं पर स्पष्टीकरण के साथ जेआईएच सामने नहीं आता है। तब तक अधिक निर्दोष मुसलमान कानून के गलत पक्ष में पड़ेंगे और जिम्मेदारी कटटरपंथी संगठनों पर होगी। इसलिए देश के मुस्लिम नौजवानों को ऐसे संठनों से दूर रहना चाहिए जो कि तालिबान का समर्थन करते हैं। नौजवानों को देश की तरक्की में अपना योगदान देना चाहिए।
BY: KP Tripathi
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