मेरठ

Major Dhyan Chandra : चीते की फुर्ती से गोल करने में माहिर थे हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद्र, मेरठ से था गहरा रिश्ता

Hockey Magician Major Dhyan Chandra हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद्र के हाथ की कलाइयों में वो कला थी कि हॉकी उसके कदमों के साथ हाथ में इठलाती थी। अपनी चीते जैसी फुर्ती से गोल करने में माहिर हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद्र का मेरठ से काफी गहरा नाता रहा है। मेरठ को हॉकी के इस जादूगर ने अपने जीवन के 12 साल दिए और इसी मेरठ के एतिहासिक विक्टोरिया पार्क में उन्होंने जापान को शिकस्त दी थी।
 

मेरठAug 29, 2022 / 07:41 pm

Kamta Tripathi

Hockey Magician Major Dhyan Chandra : चीते की फुर्ती से गोल करने में माहिर थे हाकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद्र, मेरठ से गहरा रिश्ता

Hockey Magician Major Dhyan Chandra आज खेल दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी ने मेजर ध्यान चन्द के चित्र पर की पुष्पांजलि अर्पित किया। खेल दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी दीपक मीणा ने कैलाश प्रकाश स्पोर्टस स्टेडियम में हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चन्द के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने बताया कि मेरठ में स्पोर्टस यूनिवर्सिटी का शिलान्यास प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के कर कमलों से हुआ है। उन्होंने बताया कि स्पोर्टस यूनिवर्सिटी बन जाने से हर खिलाड़ी को अपने सपने साकार करने का मौका मिलेगा। इस अवसर पर स्टेडियम में हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संबंधित अधिकारी व कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

बता दें कि हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का मेरठ से गहरा नाता रहा था। मेजर ध्यानचंद्र पंजाब रेजीमेंट में करीब 12 वर्ष तक तैनाती के दौरान मेरठ में रहे थे। बांबे बाजार में पंडित सोहनलाल हॉकी मेकर के यहां आज भी मेजर ध्यानचंद्र यानी दद्दा की यादें ताजा हैं। दद्दा की बॉयोपिक के लिए जो स्टिक झांसी ले जाई गई वो इसी दुकान में रखी हुई थी। इसी स्टिक से दद्दा ने 1952 में ऐतिहासिक विक्टोरिया पार्क में जापान की टीम को करारी शिकस्त दी थी।


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मेजर ध्यानचंद आम जीवन में जितने नरम थे। हाकी के खेल के मैदान पर उतने ही आक्रामक। दद्दा सोहनलाल हॉकी मेकर की दुकान पर घंटों- .घंटों बैठा करते थे। हॉकी खेल के किस्से सुनाना आज मेरठ में चर्चा का विषय रहता है। मैदान पर हाकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद्र चीते की फुर्ती से गोल करने में माहिर थे। वर्ष 1956-57 में दद्दा सेना से सेवानिवृत्त हुए। झांसी लौटते समय मेरठ के लोगों ने दद्दा को फूलों की मालाएं डालकर विदा किया था।

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