यह भी पढ़ेंः Sadhvi Prachi का सनसनीखेज बयान, कहा- कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले हो मस्जिदों आैर मदरसों की तलाशी, देखें वीडियो कांवड़ बनाने में जुटे दिन-रात कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) शुरू होने में अब चंद दिन बचे हैं। इसलिए कांवड़ियों के लिए कांवड़ (Kanwar) बनाने का काम भी इन दिनों जोरों पर है। मेरठ के कई मोहल्लों में तो बीते दो माह से मुस्लिम समुदाय (Muslim Community) के लोग रात-दिन कांवड़ तैयार करने में जुटे हैं। विभिन्न आकार-प्रकार वाली इन कांवड़ों की खूबसूरती देखते ही बनती है। कांवड़ बनाने वाले अल्ताफ की पत्नी सलमा कहती हैं कि वह बीते दस वर्षों से शिव भक्तों के लिए भव्य कांवड़ तैयार कर रही हैं। उनका पूरा परिवार कांवड़ तैयार करने में सहयोग करता है।
यह भी पढ़ेंः Kanwar ar yatra 2019: NH-58 पर इस दिन से होगा रूट डायवर्जन, जरा संभलकर करें सफर एक दिन में 60 कांवड़ तैयार वहीं अल्ताफ ने बताया कि उनकी तीन पीढ़ियां इस काम में जुटी हुई है। उन्होंने बताया कि वे दशहरे में रावण का पुतला बनाने का काम भी करते हैं तो कांवड़ के दौरान कांवड़ बनाने का काम। उनका पूरा परिवार इस काम में जुटा हुआ है। उन्होंने बताया कि एक मंजिल कांवड़ का जोड़ा 400 रुपये में बिक जाता है। जिसे तैयार करने में एक घंटे का समय लगता है। उन्होंने बताया कि कांवड़ को भव्य रूप देने के लिए रंगीन कागज व बेल-बूटों से सजाया जाता है। इनकी बिक्री से उनके परिवार की अच्छी-खासी आमदनी हो जाती है। एक दिन में 50 से 60 कांवड़ तैयार करते हैं।
यह भी पढ़ेंः VIDEO: इस बार कावंड़ यात्रा में विशेष इंतजाम, सड़क पार नहीं कर सकेंगे लोग जाति-धर्म सब राजनीतिक बातें उन्होंने कहा कि हिन्दू-मुस्लिम और जाति-बिरादरी केवल राजनीति के लिए सरहद हो सकती है, लेकिन उन लोगों के लिए इससे कोर्इ फर्क नहीं पड़ता। वे इन सबसे उठकर प्रेम आैर भाईचारे से रहते हैं। अपने परिवार को पालने के लिए वे काम करते है जो दूसरे के धर्म पर टिका है। ये कहानी सिर्फ अल्ताफ की नहीं है। मेरठ में अल्ताफ जैसे बहुत मुस्लिम हैं जो कि इसी काम से जुड़े हुए हैं। कुछ इस तरह के परिवार हैं जो कांवड़ बनाकर दो वक्त की रोटी का प्रबंध करते हैं। उनका रोजगार केवल इस कांवड़ पर टिका है उनके हाथ से बनी कांवड़ मेरठ में ही नहीं दूसरे शहरों और दूसरे राज्यों में बेची जाती है।
यह भी पढ़ेंः Sawan 2019: 70 साल बाद सावन के सोमवार को है Nag Panchami, कालसर्प दोष से मिलेगा छुटकारा, देखें वीडियो कांवड़ मेले का बेसब्री से इंतजार मेरठ के रहने वाले अल्ताफ जो रंग-बिरंगी कावड़ बनाने का काम पिछली तीन पीढ़ियों से करते आ रहे है। उनके भाई सरताज का कहना है ये हमारी रोजी रोटी है। कांवड़ के साथ रावण भी बनने का काम करते है। घर की महिलाएं कांवड़ बनाने का काम करती है। ज्वालापुर की शकीना कहती हैं कांवड़ मेला उनकी रोजी-रोटी से जुड़ा है, इसलिए पूरा परिवार कांवड़ मेला शुरू होने से पूर्व रात-दिन कांवड़ तैयार करने में जुट जाता है। कहती हैं, रोजगार से धर्म या समुदाय का कोई लेना-देना नहीं है। बल्कि इससे तो रोजी के साथ प्यार-प्रेम भी बढ़ता है। इसलिए कांवड़ तैयार करने वाले कारीगरों को हर साल कांवड़ मेले का बेसब्री से इंतजार रहता है।