यह भी पढ़ेंः मौसम वैज्ञानिकों ने फिर दी चेतावनी, हवाआें के बीच होगी तेज बारिश आैर पड़ेंगे आेले भी, स्कूलों की हो सकती है छुट्टी इस सभा का उद्देश्य ग्रामीणों द्वारा सोए प्रशासन को जगाना था। जिस पर स्वास्थ्य विभाग ने सर्वे कराया। सर्वे में चौंकाने वाले नतीजे निकलकर सामने आए। चार गांवों के सर्वे में तीस लोग कैंसर की बीमारी से मर चुके हैं। तीन दर्जन से अधिक कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में कैसर ही नहीं पीलिया भी तेजी से पैर पसार रहा है।
यह भी पढ़ेंः रंगदारी न देने पर धारदार हथियार से हमला, सांप्रदायिक बवाल, देखें वीडियो हापुड़ रोड के गांव जद में कैंसर और पीलिया की जद में हापुड़ रोड के गांव अधिक हैं। अधिकांश मीट फैक्ट्रियां इसी क्षेत्र में हैं। ये फैक्ट्रियां आसपास के गांवों के पेयजल को जहर बना रही है। इन मीट फैक्ट्रियों में पशुओं के कटान के बाद इनका रक्त और दूषित पानी बोरिंग के माध्यम से सीधा जमीन में भेज दिया जाता है। यह दूषित जल भूजल में मिलकर उसको जहरीला बना देता है। पर्यावरण सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष रविन्द्र गुर्जर ने कहा कि इससे पूर्व प्रशासन को ज्ञापन दिया जा चुका है। मेरठ जिले के ग्रामीण क्षेत्र का पानी पीने योग्य नहीं रह गया है। अवैध रूप से चल रहे मीट प्लांटों का पानी जमीन के भीतर गिराया जा रहा है। जिससे पीने का पानी जहरीला होता जा रहा है। इसके कारण गांव-गांव में जानलेवा बीमारियां पैर पसार रही है। सीएमओ डा. राजकुमार के अनुसार गांव बिजौली, बहरानपुर, सेतकुआं और धनौटा में थ्री लेयर सर्वे कराया गया। पहला आशा कार्यकर्ताओं से, दूसरा एएनएम से और तीसरा विभाग की टीम से। इसी जांच में पाया कि बिजौली, बहरानपुर व सेतकुआं गांव में ही पिछले पांच साल में कैंसर से करीब 30 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा दर्जनों लोग कैंसर की बीमारी से पीड़ित हैं और उनका इलाज चल रहा है।
यह भी पढ़ेंः कुंभ मेले में होमगार्ड जवान करेंगे ये काम, इसके लिए कर ली है विभाग ने बड़ी तैयारी, देखें वीडियो ग्रामीणों ने दी चेतावनी पिछले दिनों हुई ग्रामीणों की पंचायत में भाजपा नेत्री पूजा बंसल ने अवैध बूचड़खानों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए चेतावनी दी थी कि यदि इनको बंद न कराया गया तो मेरठ के देहात क्षेत्र पानी पीने लायक क्या सिंचाई के काम भी नहीं आ पाएगा।