मेरठ

Meerut Jama Masjid : रावण की ससुराल में बनी ये जामा मस्जिद सल्तनत काल की वास्तुकला का नायाब नमूना

Meerut Jama Masjid History मेरठ यानी रावण की ससुराल में बनी जामा मस्जिद जो कि शहर के बीचोबीच कोतवाली के पीछे मोरीपाड़ा में स्थित है। मेरठ की जामा मस्जिद विश्च में सिर्फ तीन ऐसी मस्जिद हैं। जिनमें दो अपने देश भारत में जबकि तीसरी श्रीलंका में है। सल्तनत काल की वास्तुकला का अनूठा नमूना है ये मेरठ की ये जामा मस्जिद। इस जामा मस्जिद की दीवारें और इसके अंदर की बनावट इतनी शानदार है कि इसको देखने वाला देखता ही रह जाए। गर्मी में इसके भीतर किसी पंखे या एसी की जरूरत रही होती। जामा मस्जिद में करीब एक हजार लोग नमाज अदा कर सकते हैं।

मेरठMay 02, 2022 / 03:42 pm

Kamta Tripathi

Meerut Jama Masjid : मेरठ की जामा मस्जिद सल्तनत काल की वास्तुकला का नायाब नमूना

Meerut Jama Masjid History मेरठ यानी रावण की ससुराल में बनी जामा मस्जिद सल्तनत काल की निर्माण शैली का नायाब नमूना है। मेरठ के जामा मस्जिद जैसी सिर्फ दो मस्जिद विश्व में और हैं। जिनमें से एक बदायूं जिले में है। जबकि दूसरी श्रीलंका में है। मेरठ को रावण की ससुराल कहा जाता है। यहां पर मंदोदरी का मायका था। मेरठ को पहले मयराष्ट्र के नाम से जाना जाता था। मेरठ की जामा मस्जिद उत्तर भारत ही नहीं बल्कि विश्व की अति प्राचीन मस्जिदों में से एक है। मेरठ कोतवाली के पीछे स्थित इस मस्जिद का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था। इसका निर्माण क़ुतुबुद्दीन ऐबक ने शुरू करवाया था। उसके बाद इल्तुतमिश के पौत्र नसीरूद्दीन महमूद ने इसके निर्माण को पूरा कराया।
मेरठ की जामा मस्जिद 1239 ई.में बनकर तैयार हुई। यह सल्तनत काल की वास्तुकला का एक बेहतरीन अनूठा नमूना है। यह एक अति पवित्र धार्मिक स्थल के रूप में माना जाता है। निर्माण काल के बाद से इस मस्जिद में आज तक लगातार नमाज अदा की जा रही है। इस मस्जिद की खासियत है कि इनमें भीतर मौसम बहुत कूल रहता है। गर्मी में पंखे इत्यादी की जरूरत नहीं पड़ी। इस मस्जिद के भीतर दीवारों पर कुरान की आयतें लिखी हुई हैं।
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मस्जिद की दीवारे दस फिट मोटी
मेरठ की जामा मस्जिद की दीवारें करीब 10 फीट मोटी हैं। मस्जिद के निर्माण में अधिकांश मिटटी और चूने का प्रयोग किया गया है। मिटटी और चूने से इसकी दीवारें बनाई गई है। दीवारों की चौड़ाई करीब दस फीट है। वहीं इन दीवारों की ऊचाई करीब 50 फीट है। इस मस्जिद में तीन गुंबद हैं। जबकि आमतौर पर मस्जिदों में एक ही गुंबद होती है।
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मस्जिद के चारों तरफ थे नुकीले दरवाजे
मेरठ जामा मस्जिद के चारों तरफ दरवाजे हैं। इस दरवाजों की खासियत हैं कि यह सभी दरवाजें नुकीले हैं। बताया जाता है कि मुगल सल्तनत के दौरान हुमायूं ने सभी धार्मिक स्थलाें की रक्षा के लिए उनके मुख्य द्वारों पर लगे दरवाजे पर लोहे के नुकीली मोटी कील लगवाई थी। यह सुरक्षा के लिए थी। उस दौरान हमले आदि होने पर दरवाजे आदि तोड़ने के लिए हाथियों का प्रयोग किया जाता था। हाथी अपने मस्तक के प्रहार से दरवाजों को तोड़ देता था। इस मस्जिद को देखने के लिए बहुत दूर-दूर से लोग आते हैं।

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