यह भी पढ़ेंः मेरठ की इस बहू ने लगातार चौथी बार कर दिया कमाल, ससुराल में हर कोर्इ सराह रहा उम्मीद से अधिक हुई फसल इस बार मौसम की अनुकूलता और बीमारी आदि न लगने के कारण किसानों को आलू की फसल उम्मीद से अधिक मिली। हालांकि इस बार आलू का रकबा 15 प्रतिशत घट गया था। तब भी कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार इस बार 16 लाख कुंतल आलू के उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा है। जिले में वर्तमान में 22 शीतगृह हैं। इन शीतगृहों की क्षमता एक लाख 40 हजार मीट्रिक टन आलू रखने की है। ऐसे में सवाल है कि बाकी का बचा हुआ आलू कहां स्टोर होगा। आलू की लागत से अधिक तो किसानों को कोल्ड स्टोर का किराया देने में निकल जा रहा है। शीत गृहों ने भी अपने दाम बढ़ा दिए हैं। जिस कारण किसान शीतगृहों पर भी आलू नहीं रख रहा है।
यह भी पढ़ेंः 500 माला आैर 54 वाहनों का काफिला…इस निशानेबाज के स्वागत ने पीछे छोड़ा यूपी के मंत्रियों को! आलू निर्यात न होने से बढ़ी दुश्वारियां पश्चिम उप्र के आलू की डिमांड देश के दक्षिण भारतीय राज्यों में अधिक है। पिछले वर्ष सरकार ने आलू का निर्यात खोल दिया था। जिस कारण किसानों को अधिक परेशानी नहीं हुई थी, लेकिन इस बार अभी तक सरकार ने आलू निर्यात पर कोई फैसला नहीं लिया है।
सड़कों पर दिख रहे आलू के बोरे मेरठ-मवाना रोड और गढ़ रोड पर सड़कों के किनारे आलू के बोरे जगह-जगह पड़े दिख जाएंगे। किसान घर से आलू लादकर ट्रेक्टर से आता है और सड़क के किनारे बोरे फेंककर चला जाता है।