उन्होंने बताया कि उनके ऊपर इस समय 15 करोड़ 50 लाख का बैंकों का मूल बकाया है। इस मामले में 2016 में उनके खाते को बैंक ने एनपीए घोषित किया था। कोरोना संक्रमण काल के समय में उनकी दो संपत्तियों को जो दरियागंज और परतापुर में थी बैंक ने बेच दिया था। वो संपत्ति लगभग चार करोड़ की थी लेकिन बैंक ने उसे डेढ़ करोड़ में बेच दिया। उन्होंने बताया कि बैंक जो संपत्ति बेच रही है वह उसे मूल में जमा करने के बजाय ब्याज में काट लेते हैं। उन्हें यहीं बड़ा सदमा है। इस कारण वो भारी अवसाद में पहुंच गए हैं। उनकी 14 करोड़ की फैक्ट्री जो रुड़की में है उसे बैंक ने कबाड़ियों को बेच दिया। उन्होंने कहा कि 14 करोड़ की संपत्ति को आठ करोड़ रुपये में बैंक ने बेच दिया है। उस में करीब 250 लोग काम करते थे अब सब बेरोजगार हो गए हैं।
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