मेरठ

वेस्ट यूपी के इस कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को हासिल हुर्इ बड़ी उपलब्धि, छात्रों को मिलेगा बहुत लाभ

प्रदेश सरकार भी सरदार वल्लभ भार्इ पटेल कृषि विश्वविद्यालय को करेगी मदद
 

मेरठAug 29, 2018 / 10:24 pm

sanjay sharma

वेस्ट यूपी के इस कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को हासिल हुर्इ बड़ी उपलब्धि, छात्रों को मिलेगा बहुत लाभ

मेरठ। मेरठ का सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विवि के खाते में एक और उपलब्धि सप्ताह भर में जुड़ गई है। इससे पहले इसी विश्वविद्यालय को शुगरकेन कालेज को सरकार की मंजूरी मिली थी, लेकिन अब उस उपब्धि के बाद ही दूसरी एक और उपलब्धि जो इस विवि को मिली है वह है सेंटर फार एक्सीलेंस आन बासमती राइस को मंजूरी। इस विवि में बासमती चावल के लिए रिसर्च सेंटर खोलने की अनुमति मिल गई है। यह उपलब्धि यहां के वैज्ञानिकों की कठिन मेहनत का परिणाम है।
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बासमती पर बनी फिल्म ने मचाया धमाल

अभी पिछले दिनों ही कृषि विश्वविद्यालय परिसर में कृषि मेले का आयोजन किया गया था। जिसमें बड़े पैमाने पर कृषि वैज्ञानिकों की उपलब्धियाें को लोगों के सामने प्रदर्शित किया गया था। इन्हीं में से एक थी बासमती चावल पर बनी एक फिल्म जो कि मेरठ में ही नहीं सात समंदर पार विदेशों में काफी लोकप्रिय हुई थी। यूट्यूब पर इस फिल्म को देखकर विदेशी किसानों ने बासमती चावल की पैदावार और इसके खेती करने की विधि की जानकारी भी मांगी थी। उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके लिए साढ़े पांच करोड़ रुपये की धनराशि भी रिलीज कर दी है। यूपी सरकार ने ट्विट कर इसकी जानकारी दी है। इससे पहले सरदार पटेल कृषि विश्वविद्यालय को देश के पहले वेटेनरी कॉलेज की मान्यता मिली थी इसके बाद इसी विवि को शुगरकेन बिजनेस कॉलेज को सरकार की मंजूरी मिली थी अब यह तीसरी उपलब्धि मिलने से कृषि विवि के छात्रों में हर्ष है।
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बासमती की वैरायटी पर होगी रिसर्च

सेंटर फॉर एक्सीलेंस ऑन बासमती राइस के खुलने से इसमें बासमती चावल पर शुरुआती दौर से लेकर आखिरी तक शोध किया जाएगा। सेंटर बनने के बाद इसमें बासमती की सभी वैरायटी पर रिसर्च किया जाएगा। इसमें बासमती की बुवाई से लेकर रोग नियंत्रण, सिंचाई, कम खाद-कीटनाशक में अच्छी फसल, फसल आने के बाद उसका संवर्धन और भंडारण की विधियों पर काम होगा। सेंटर में दुनिया भर की बासमती की किस्मों को एकत्र कर उनकी संकर प्रजातियों विकसित की जाएंगी। कुछ प्रजातियों में जीनोम रिसर्च के माध्यम से भी सुधार होगा। सेंटर के खुल जाने से छात्रों को मिलेगा शोध के लिए अच्छा सबजेक्ट।

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