यह भी पढ़ेंः VIDEO: बकरीद से पहले बकरे को 100 रुपये की बीयर पिलाकर कई गुना फायदा लेने का खेल आया सामने अकेले दम पर करवाई थी रैली पूर्व राज्य सभा सांसद मुनकाद अली किठौर में रहते हैं। मेरठ शहर में उनका पार्टी के कार्यक्रमों में ही आना होता है। ऐसे में 18 सितंबर 17 को रैली की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभाने के बाद से बसपा सुप्रीमो मायावती की फेवरेट लिस्ट में आ गए थे। इस रैली के बाद मायावती ने मुनकाद अली को राजस्थान में बसपा को बढ़ाने का कार्यभार सौंपा था। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपे जाने से पहले वह राजस्थान में भी बसपा की जड़ें मजबूत कर रहे थे। मुनकाद अली को उत्तर प्रदेश का पार्टी अध्यक्ष बनाने की घोषणा के बाद उनका कद और बढ़ गया है। मुनकाद अली पहली बार 2006 में राज्य सभा के सदस्य बने। इसके बाद 2012 में वह दोबारा राज्य सभा पहुंचे। वह मेरठ, सहारनपुर मंडल के कोर्डिनेटर भी रहे। बसपा सुप्रीमो ने उनकी बिहार व झारखंड में पार्टी प्रभारी के रूप में तैनाती की। 1994 से बसपा में शामिल मुनकाद अली को समय-समय पर अन्य जिम्मेदारियां भी सौंपी गई।
यह भी पढ़ेंः CCS University Meerut: अब स्टूडेंट्स को DU जाने की जरूरत नहीं, यहां शुरू होने जा रहे हैं ये पाठ्यक्रम मायावती ने खेला है मुस्लिम कार्ड पूर्व वेस्ट यूपी प्रभारी व पार्टी महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी को पार्टी से निकाले जाने के बाद बसपा सुप्रीमो वेस्ट यूपी में मुस्लिम चेहरे को लाना चाह रही थी। लोक सभा चुनाव 2019 के बाद आए परिणामों के बाद से उन्हें मुनकाद अली से बेहतर विकल्प नहीं लगा। पार्टी में मुनकाद की छवि ईमानदार, वफादार और मेहनती नेता के रूप में है। साथ ही वह किसी पर टीका-टिप्पणी भी नहीं करते। पार्टी में आए हर उतार-चढ़ाव को भी मुनकाद परख चुके हैं, इसलिए मायावती ने उत्तर प्रदेश में पार्टी की कमान सौंपकर अगले विधान सभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बड़ा कार्ड खेला है। बसपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि मुनकाद अली को प्रदेश अध्यक्ष बनाना बहनजी का अच्छा और महत्वपूर्ण निर्णय है, इससे पार्टी को बहुत फायदा होगा।