दरअसल सेमवार सुबह मुठभेड़ में केतन शर्मा फायरिंग में घायल हो जाते हैं उसके बाद दम तोड़ देते हैं। जिसके बाद शाम को करीब पांच बजे आर्मी अफसर मेरठ केतन शर्मा के घर पहुंचते हैं और पिता को धीमे स्वर में बताया कि मेजर केतन शर्मा दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में शहीद हो गए हैं। केतन शर्मा के पिता रविंद्र शर्मा को संभालने के लिए आस-पड़ोस के लोग पहुंचने लगते हैं। धीरे-धीरे उनके घर भीड़ जमा होने लगती है। ये सब देख बार-बार केतन की मां को किसी अनहोनी की आशंका होती है, लेकिन किसी ने फिलहाल उन्हें नहीं बताया कि उनका बेटा देश की हिफाजत करते हुए शहीद हो गया।
कुछ ही देर में डीएम अनिल ढींगरा, कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल और एसडीएम कमलेश गोयल भी सांत्वना देने पहुंच गए। जिस किसी भी रिश्तेदार को सूचना मिली सभी केतन के घर पहुंच गए। ये सब देख मां का रो-रोकर बुरा हो गया। वो बेटे से बात करने की जिद्द पर अड़ गई। तभी वहां आर्मी अफसर आगे की सूचना लेके पहुंचते हैं। ये देखते ही उन्हे अंदेश हो गया और उन्हें देखते ही बिलख पड़ की और कहा कि मेरे रानू को अगर कुछ हो गया तो मैं भी उसके साथ ही चली जाऊंगी। परिजनों और आसपास की महिलाओं ने उन्हें किसी तरह संभाला।
केतन शर्मा अपने मा-पिता के अलावा पत्नी और एक तीन साल की बेटी को छोड़ कर चले गए। केतन की 5 साल पहले दिल्ली की रहने वाली इरा के साथ हुई थी। दोनों की 3 वर्ष की पुत्री काइरा है। केतन शर्मा की शहादत की जब खबर आई तो इरा पुत्री के साथ मायके में थी।
वहीं केतन शर्मा को लेकर आस-पड़ोस और दोस्तो का कहना है कि वह खुशखुशमिजाज थे। बारहवीं पास करने के बाद से ही उसे सेना में जाने का जज्बा था। शायद इसलिए उसने हार नहीं मानी। 12वीं के बाद एनडीए की परीक्षा दी। साक्षात्कार में सफल न होने के बाद भी अपने जुनून को शांत नहीं होने दिया। इसके बाद सरूरपुर डिग्री कालेज से बीएससी की। कुछ दिन प्राइवेट नौकरी भी की। साथ ही सीडीएस की परीक्षा भी देते रहे। उन्होंने यह परीक्षा और इंटरव्यू पास कर लिया और आइएमए देहरादून ट्रेनिंग पूरी। 2012 में केतन शर्मा आइएमए देहरादून से सेना में लेफ्टिनेंट बने थे।
इसके बाद 57 इंजीनियर रेजीमेंट में पहली पोस्टिंग पुणे में हुई थी। दो वर्ष पूर्व अनंतनाग में उनका तबादला हुआ था। मेजर केतन शर्मा आखिरी बार 26 मई को छुट्टी समाप्त कर वापस लौटे थे। लेकिन किसे पता था कि ये छुट्टी उनकी आखिरी छुट्टी है और वह अब वापस तो आएंगे लेकिन तिरंगे में लिपट कर।