मेरठ. मेरठ मंडल में इस बार किसानों ने मक्का पैदावार का बंपर रिकॉर्ड कायम किया है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो इस बार खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में मेरठ मंडल के किसानों ने पिछले 15 सालों का रिकार्ड तोड़ दिया है। प्रदेश में मेरठ मंडल में किसानों से मक्का की सरकारी खरीद का आंकड़ा बहुत बेहतर रहा है।
इस वर्ष मेरठ मंडल के किसानों ने 11 सरकारी क्रय केंद्रों पर 12335 मीट्रिक टन मक्का बेची है। खाद्य एवं रसद विभाग ने मंडल के 4088 किसानों को 22.82 करोड़ का भुगतान किया। मक्का की बंपर खरीद को देखते हुए किसानों ने समर्थन मूल्य का पूरा लाभ उठाया है। मक्का का भरपूर भुगतान मिलने से जहां किसानों में मक्का के प्रति रूझान बढ़ा है। वहीं खाद्य एवं रसद विभाग भी उत्साहित है।
यह भी पढ़ें- शीतलहर के चलते यूपी में 5 डिग्री तक पहुंचा पारा, गलन भरी सर्दी ने जीना किया मुश्किल किसानों को अच्छा मिला सरकारी समर्थन मूल्य इस वर्ष मक्का का समर्थन मूल्य 1850 रुपये प्रति कुंतल रहा। मेरठ मंडल में बुलंदशहर और हापुड़ समेत दो जनपदों में मक्का की जमकर सरकारी खरीद की गई। 17 अक्टूबर से आरंभ हुई मक्का फसल की खरीद 15 जनवरी तक चली। किसानों के मक्का के प्रति उत्साह को देखते हुए मेरठ मंडल का लक्ष्य 10 हजार से बढ़ाकर 12 और फिर 14500 मीट्रिक टन करना पड़ा। जिसमें तय तिथि तक 12335 मीट्रिक टन मक्का की खरीद की गई। बता दें कि पिछले वर्ष निजी मंडियों में सरकारी क्रय केंद्रों की तुलना में अधिक दाम मिले थे। जिस कारण सरकारी क्रय केंद्रों पर एक किलो भी मक्का नहीं खरीदी गई। वहीं इस बार मक्का की खरीद ने पिछले 15 साल के रिकार्ड को भी तोड़ दिया।
अगले साल मेरठ में होगी मक्का खरीद जिला खाद्य विपणन अधिकारी सतेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मक्का किसानों के उत्साह व उत्पादन को देखते हुए अगले वर्ष मेरठ जिले में भी मक्का की सरकारी खरीद होनी संभावित है। मेरठ में बेहद कम उत्पादन होने के कारण अभी तक सरकारी क्रय केंद्र स्थापित नहीं किया गया है। मक्का के दाम मंडी से कहीं अधिक बेहतर मिलने के कारण किसानों ने सरकारी विक्रय किया है। किसानों ने मक्का के सरकारी क्रय केंद्र खोलने की मांग की है।
ये बोले अधिकारी मेरठ संभाग के संभागीय विपणन अधिकारी दिनेश चंद्र मिश्र ने बताया कि इस बार मेरठ मंडल में मक्का की बंपर खरीद हुई है। पिछले साल यह खरीद बिल्कुल शून्य थी। इस बार किसानों को निजी मंडी की तुलना में मक्का के दाम कहीं अधिक बेहतर मिले। इसीलिए मक्का खरीद का लक्ष्य भी शासन स्तर पर बढ़ा दिया गया।