यह भी पढ़ेंः महाशिवरात्रि को सदी में पहली बार पड़ रहा ये दुर्लभ योग, इन समय पूजा करना होगा बहुत लाभदायक सोमवार होने के कारण विशेष महत्व इस महापर्व का सोमवार को पड़ना एक बड़ा संयोग है। इस वर्ष शिवरात्रि का पावन पर्व श्रवण नक्षत्र में पड़ रहा है। श्रवण का स्वामी चंद्रमा होता है। श्रवण नक्षत्र और सोमवार का एक साथ महाशिवरात्रि पर बहुत ही शुभ संयोग है। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी है। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन आने वाली शिवरात्रि को सिर्फ शिवरात्रि कहा जाता है, लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन आने वाले शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।
यह भी पढ़ेंः Mahashivratri special: इस मंदिर में लंकापति रावण ने की शिव की पूजा तो हुई थी मंदोदरी से मुलाकात, देखें वीडियो औघड़नाथ मंदिर में भगवान शिव का श्रृंगार मेरठ के प्राचीन औघड़नाथ मंदिर में सुबह चार बजे पहले भगवान शिव का श्रृंगार किया गया। इसके बाद जलाभिषेक हुआ। भोर की आरती में सैकड़ों श्रद्धालुगण उपस्थित रहे। हालांकि अभिषेक का शुभ मुहूर्त शाम को पांच बजे के बाद का बताया जा रहा है, लेकिन चतुदर्शी सुबह होने के कारण लोगों ने सुबह से ही भगवान आशुतोष को जलाभिषेक करना शुरू कर दिया। शहर के अन्य सभी शिवालयों में भी भगवान की पूर्जा अर्चना आैर अभिषेक सुबह से शुरू हो गया।