कुँवर सचदेव ने साल 1998 में इन्वर्टर बनाकर रोशनी की दुनिया में क्रांति ला दी। उसके बाद से तो आज हर घर में इनवर्टर हो गए हैं। आजकल कुंवर सचदेव वो पावर बैकअप और स्टोरेज कंपनी Su-vastika Power से जुड़कर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि देश में इनवर्टर के क्षेत्र में क्रांति आई है। सचदेव ने नवीन और उपयोगकर्ता की आवश्यकता के अनुकूल उत्पादों के साथ भारत में पावर बैकअप क्षेत्र में क्रांति लाने का काम किया।
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सीमा पार बजा भारत में बने इनवर्टर का डंकाइनके द्वारा बने इनवर्टर को न केवल भारत में बल्कि मध्य पूर्व, अफ्रीका और बांग्लादेश और नेपाल सहित दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में एक घरेलू नाम बना दिया। यूपीएस/इन्वर्टर और सौर क्षेत्र में उनके योगदान के कारण, उन्हें ‘द इन्वर्टर मैन ऑफ इंडिया’ और ‘द सोलर मैन ऑफ इंडिया’ भी कहा जाता है।
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90 में देश जूझ रहा बिजली समस्या से
1990 के दशक में, जब भारत बिजली की समस्या से जूझ रहा था, कुंवर सचदेव ने पावर बैकअप उद्योग में असंगठित बाजार का तुरंत विश्लेषण किया, जो उस समय पूरी तरह से अव्यवस्थित था। उसके बाद उन्होंने प्लास्टिक-बॉडी इन्वर्टर बनाए। इसके बाद इनवर्टर में माइक्रोकंट्रोलर और डीएसपी साइन वेव लाने का काम किया।
यूपीएस की विशेषताओं और इन्वर्टर को एक ही उपकरण में मिलाकर भारत को ‘होम यूपीएस’दिया। दुनिया का पहला टच-स्क्रीन यूपीएस भी सचदेव द्वारा पेश किया गया। जो ब्लूटूथ से भी चलने वाला था। जिससे कोई भी उपयोगकर्ता अपने फोन से इसकी निगरानी कर सकता हैं।
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पत्नी के साथ से की नई शुरुआत
सचदेव बताते हैं कि इतने संघर्ष और चुनौतियों के बाद उनकी पत्नी खुशबू सचदेव उनके मदद के लिए आगे आयी। उन्होंने दोस्तों और रिश्तेदारों की काफी मदद के बाद, खुशबू सचदेव ने कुंवर सचदेव के मार्गदर्शन में एक नया उद्यम शुरू किया।