बता दें कि 1946 में, पंडित जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता से पहले कांग्रेस के अंतिम अधिवेशन में मेरठ में बोस के आईएनए के अधिकारियों की उपस्थिति में झंडा फहराया था। मेरठ के एक स्कूल में प्रधानाचार्य देव नागर ने बताया कि यह पहली बार था जब यह एतिहासिक झंडा मेरठ से बाहर ले जाया गया।
“स्वतंत्रता पूर्व कांग्रेस का सत्र 24 नवंबर, 1946 को मेरठ के विक्टोरिया पार्क में हुआ था। जहाँ कांग्रेस के पदाधिकारी शामिल हुए थे। इस अधिवेशन में पंडित नेहरू ने खादी का तिरंगा फहराया था। इस तिरंगे बीच में चरखा की छवि थी।
देव नागर ने बताया कि उनके दादा को उस समारोह में व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष जेबी कृपलानी, नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और सुचेता कृपलानी ने की थी। उन्होंने बताया कि सत्र के आखिरी दिन झंडा उतारा गया। नेहरू और आईएनए के जनरल शाहनवाज खान ने इस पर हस्ताक्षर करके उनके दादा को सौंप दिया। देव नागर ने बताया कि उनके परिवार ने तब से ध्वज को सुरक्षित रखा है। उन्होंने कहा, “झंडा तब से हमारे पास है, सुरक्षित और संरक्षित है।” देवनगर के अनुसार, नेहरू ने तब कहा था कि उन्होंने इसी झंडे के नीचे आजादी की लड़ाई लड़ी और यह देश का राष्ट्रीय ध्वज होगा।