सुनील रोठी को मिली थी खुली छूट
बताया जाता है कि बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के मुख्य आरोपी गैंगेस्टर सुनील राठी ऐश काट रहा था। सूत्रों के मुताबिक जांच में जो बात सामने आई है उसके अनुसार यहां सुनील राठी की बैरक की कभी तलाशी नहीं ली गई, जबकि वह यहां लगभग एक साल से बंद था। खास बात तो ये है कि उससे मुलाकात करने वालों की न तो जेल में चेकिंग की जाती थी और न ही रजिस्टर में उनकी एंट्री दर्ज होती थी। हालांकि, जांच अधिकारी और आगरा के डीआईजी जेल संजीव त्रिपाठी ने इस पूरे मामले में सिर्फ इतना ही कहा कि वह जांच कर रहे हैं। जल्द ही शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे।
बरामद पिस्टल के इस्तेमाल पर है शक
बताया जाता है कि इस जांच रिपोर्ट में यह उल्लेख नहीं है,पिस्टल जेल में कब और कैसे पहुंची। गौरतलब है कि मुन्ना बजरंगी की हत्या के थोड़ी देर बाद ही सुनील राठी की निशानदेही पर एक पिस्टल जेल के गटर से बरामद की गई थी। राठी ने बताया था कि इसी से उसने मुन्ना बजरंगी पर गोली चलाई गई थी। हालांकि, जानकार और जांच अधिकारी उस पिस्टल के इस्तेमाल पर शक जाहिर कर रहे हैं। इसकी वजह ये है कि इसे सुनील राठी ने बड़ी आसानी से इस पिस्टल को बरामद करा दिया था। अधिकारियों का मानना है कि राठी जैसा शातिर अपराधी इतनी आसानी से अपने खिलाफ साक्ष्य कैेसे दे सकता है।
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ऐसी आशंका जताई जा रही है कि उसने कोई और पिस्टल बरामद करा दी हो, ताकि परीक्षण में यह साबित हो जाए कि इससे गोली नहीं चली, जिसका उसे फायदा मिल सकता है। यही कारण है कि पिस्टल को परीक्षण के लिए भेजने और रिपोर्ट के आने का इंतजार किया जा रहा है, क्योंकि केस का खुलासा करने के लिए पिस्टल की जांच रिपोर्ट जरूरी है। गौरतलब है कि पिस्टल को जांच के लिए भेजने में भी लेटलतीफी हो रही है। बताया जाता है कि यह पिस्टल परीक्षण के लिए आगरा की विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजी जानी थी, लेकिन अभी तक यहां नहीं भेजी गई है।