यह भी पढ़ेंः पुलिस ने छापे में पकड़ी दो विदेशी युवतियां, वीजा की अवधि खत्म होने पर क्या कर रही थी, जरा पढ़िए… यह भी पढ़ेंः अग्निशमन सप्ताह में यहां लगी चाैथी भीषण आग, लाखों रुपये के कैरम बोर्ड की लकड़ी स्वाहा इंटरनेट नहीं साॅफ्टवेयर होगा तैयार यह केवल इंटरनेट तक सीमित नहीं होंगे, बल्कि साॅफ्टवेयर तैयार होंगे। उन्हें तकनीकी शिक्षण सामग्री मिलेगी। इसमें केंद्र और राज्य सरकार दोनों से बजट मिलेगा। यह भी पढ़ेंः मेरठ के नीरव मोदी पर 100 करोड़ का कर्ज, 50 दिन से लापता, लेनदार तलाशते ढूंढ़ रहे राजकीय पॉलिटेक्निक के पुस्तकालय बेहद दयनीय
प्रदेश के राजकीय पॉलीटेक्निक कालेजों के पुस्तकालयों की व्यवस्था बेहद दयनीय है। छात्रों को सही और मानक वाली किताबें को लेकर परेशानी होती है। तकनीकी शिक्षा में उनके पिछड़ने यह एक कारण रहता है। इसके साथ ही देश-दुनिया में होने वाले वाले शोध और तकनीकी में बदलाव और अपडेट की जानकारी नहीं मिल पाती। पुस्तकालय में समय के साथ अपडेट पुस्तकें नहीं मिल पाने के कारण शिक्षक पुराने पढ़े हुए को पढ़ाते हैं, जबकि एक साल में तकनीक और प्रौद्योगिकी कहीं से कहीं पहुंच जाती है। यह छात्र जब पढ़ाई पूरी कर जॉब की तलाश में आते हैं तो इंडस्ट्री की डिमांड के अनुरूप मांग पूरी नहीं कर पाते। इसी गैप को भरने के उद्देश्य से डिजीटल पुस्तकालय की योजना शुरू की गई है।
यह भी पढ़ेंः एक दिन में रिकार्डतोड़ छापेमारी, बिजली चोरों ने कर रखा था बुरा हाल केंद्र्र सरकार की मिली गाइडलाइन इसके अनुसार कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है। खरीद शासन स्तर से होनी है। अभी तो लाइब्रेरियन का पद तक खाली है। पॉलिटेक्निक पाठ्यक्रम के भरोसे ही चलती है शिक्षा राजकीय पॉलीटेक्निक में शिक्षा केवल पाठ्यक्रम के भरोसे चलती है। जो पाठ्यक्रम निर्धारित है उतना ही पढ़ाया जाता है। जबकि वक्त की जरूरत के अनुसार उन्हें कहीं विस्तृत ज्ञान की आवश्यकता होती है। उद्यमिता के क्षेत्र में जाने के लिए किताबों से आगे निकलकर सोचने की आवश्यकता है। उप्र पाॅलिटेक्निक के कार्यकारी अधिकारी अशोक कुमार के अनुसार सरकार की योजना अच्छी है। इस पर जल्द से अमल होगा।