मेरठ

योगी राज में इस जनपद की महिलाआें पर बढ़ गए अत्याचार, हर राेज इतने मामले

डीसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2017 में महिला संबंधी 1070 मामले दर्ज

मेरठFeb 19, 2018 / 04:09 pm

sanjay sharma

मेरठ। मेरठ में आधी आबादी कितनी महफूज है इसका अंदाजा डीसीआरबी के दर्ज रिकार्ड से पता चल जाता है। सरकार, शासन, प्रशासन और पुलिस की लाख कोशिशों के बाद भी मेरठ में तीन महिलाएं किसी न किसी हिंसा का शिकार प्रतिदिन होती है। ऐसा हम नहीं पुलिस का रिकार्ड बता रहा है। वर्ष 2017 के आंकड़ों पर गौर करें तो अकेले महिला संबंधी 1070 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2016 में यह आंकड़ा 1012 का था। कर्इ मामले एेसे भी हैं, जिसमें उत्पीड़िता थाने नहीं पहुंचती। मतलब, पिछली सरकारों में तो महिला सुरक्षित थी ही नहीं, लेकिन महिला सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाली यूपी की योगी सरकार में भी महिलाआें के खिलाफ अत्याचार बढ़े हैं। छेड़छाड़ के 279 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि शहर में छेड़छाड़ को रोकने के लिए एंटी रोमियो स्क्वायड बनाए गए थे।
वीडियो देखेंः Police Industrialist Meet in Noida

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सबसे ज्यादा छेड़छाड़ की घटनाएं

मेरठ प्रदेश में सर्वाधिक संवेदनशील महानगर की श्रेणी में आता है। बात-बात पर दोनों पक्षों का सामने आ जाना कोई नई बात नहीं है। इस महानगर में ये रोज की बात है। हैरानी की बात है कि योगी सरकार में 2017 में अकेले छेड़छाड़ के ही 279 मामले दर्ज किए गए हैं। ये वे घटनाएं हैं, जो पुलिस रिकार्ड में दर्ज हैं। ऐसी ही कई अन्य घटनाओं में तो पीड़ित कानूनी लफड़ों में पड़ने के डर से थाने तक ही नहीं जाते और मामला दबा दिया जाता है। कई मामले में पुलिस थाने में ही तहरीर को दबा देती है और अधिकांश मामलों में समझौता करा देती है। डीसीआरबी में ये वहीं आंकड़े दर्ज हैं, जिनमें युवतियों-महिलाओं ने हौंसला दिखाया और रिपोर्ट दर्ज कराई। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक मेरठ में 1240 ऐसी घटनाएं दर्ज की गई, जिनमें महिलाओं से संबंधित अपराध हुए। एनसीआरबी के अनुसार महिलाओं के प्रति अपराध मेंं 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
धाराओं में खेल करती पुलिस

अधिवक्ता ओपी शर्मा के अनुसार अधिकांश मामलों में पुलिस थाने में मामला दर्ज करते समय धाराओं में खेल कर देती है। इससे आरोपी को जमानत मिलने में आसानी होती है। आरोपी साफ बच निकलता है। मामलों को पुलिस आपसी विवाद बताकर रिपोर्ट दर्ज करती है। आरोपी को जेल जाने से राहत मिल जाती है।
वर्ष-2017 में महिला संबंधी केस

अपहरण-156, अश्लीलता- 10, दुष्कर्म-87, गैंगरेप-12, हत्या- 31, छेड़छाड़- 279, दहेज प्रताड़ना- 495

इन्होंने कहा

एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा कि महिलाआें के प्रति अपराध रोकने के निर्देश सभी जिलों के एसएसपी को दिए हुए हैं। आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई होने से अपराधों में कमी आई है।
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