यह भी पढ़ेंः मेरठ में कड़ी सुरक्षा में खेली गई होली, हर किसी ने अपने-अपने अंदाज में मचाया धमाल मंगलवार को भी ठीक 12 बजे ढोल नगाड़ों के साथ लालकुर्ती के सम्मानित और बुजुर्ग लोग बैलगाड़ी आदि पर सवार होकर चले। आगे आगे बैंडबाजा और ढोल वाले चल रहे थे और पीछे-पीछे लालकुर्ती वासी। सभी लोग होली की बधाई डे रहे थे। ये लोग जहां जहां से निकले वहा से होली का रंग उत्सव मनाना रुक गया। इस दौरान इस जुलूस पर महिलाओं ने रंग और पानी डाला। जुलूस में शामिल लोगों ने लालकुर्ती वासियों को होली की शुभकामनाएं दी। जुलूस में शामिल लोग प्रशाद के रूप में ठंडाई बाट रहे थे। सभी लोग ठंडाई का आनंद उठा रहे थे। जुलूस के आगे और पीछे भारी संख्या में पुलिस बल भी मौजूद था। जो सुरक्षा के लिए तैनात था। कई थानों का फोर्स और पीएसी भी तैनात थी। जुलूस करीब दो बजे वापस पंचायती मंदिर में आकर खत्म हुआ।
यह भी पढ़ेंः Holi पर यूपी के इन14 जनपदों को मिलेगी भरपूर बिजली, लाइन स्टाफ की छुट्टी पर लगाई रोक लालकुर्ती स्थित पंचायती मंदिर से वर्षों से होली का जुलूस निकलता है। इसमें दो डोले होते हैं एक में रंग से भरा ड्रम होता है दूसरे में ठंडायी होती है। एक ओर रंगों की बौछार होती है तो दूसरी ओर जुलूस में शामिल लोग ठंडाई का सेवन करते चलते हैं। जुलूस क्षेत्र के मुख्य मार्गों और मोहल्लों से गुजरता है, रंग की बौछारें डालते चलते हुए लोगों के हुजूम को देखने होली खेलने वालों को भी रोमांच से भर देता है। जुलुस का आयोजन श्री सनातन धर्म युवक सभा के आकाश अग्रवाल ने बताया कि जुलूस की पंरपरा काफी पुरानी है। मंदिर से जुलूस आरंभ होता है। यह मान्यता है जहां-जहां से जुलूस गुजरता जाता है वहां वहां रंग खेलने पर विराम लगता जाता है।