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ज्योतिषाचार्य भारत भूषण के अनुसार, होलाष्टक में भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए यातनाएं दी गई थीं। इस वजह से होलाष्टक को अशुभ माना जाता है। होलाष्टक में ग्रह भी उग्र होते हैं, इस वजह से कोई शुभ कार्य करने या बड़े निर्णय लेने से बचा जाता है। फागुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को लगता है होलाष्टक
ज्योतिषाचार्य भारत भूषण के अनुसार, फागुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को होलाष्टक प्रारम्भ होता है। उसके बाद से शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। होलिका दहन प्रमुख त्योहार के रूप में फागुन पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके दूसरे दिन नकारात्मक ऊर्जा होली में जलकर राख हो जाती है, जिसमें खुशियों से भरकर उल्लासा के साथ लोग एक-दूसरे को रंगों से सराबोर करते हैं।
ज्योतिषाचार्य भारत भूषण के अनुसार, फागुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को होलाष्टक प्रारम्भ होता है। उसके बाद से शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। होलिका दहन प्रमुख त्योहार के रूप में फागुन पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके दूसरे दिन नकारात्मक ऊर्जा होली में जलकर राख हो जाती है, जिसमें खुशियों से भरकर उल्लासा के साथ लोग एक-दूसरे को रंगों से सराबोर करते हैं।
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नौ दिन नहीं होंगे कोई शुभ कार्य
ज्योतिषाचार्य भारत भूषण ने बताया, “होलाष्टक के समय में नौ दिन कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ नहीं करने हैं। इस दौरान शिव और कृष्ण की आराधना पूजा, जप अवश्य करने चाहिए।