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पुलिस के हत्थे चढ़ा 50 हजार का इनामी बदमाश, कई जिलों की पुलिस को थी तलाश, देखें वीडियो इस बाबत जानकारी देते हुए जिला टीबी अधिकारी डॉक्टर एमएस फौजदार ने बताया कि जेल में बंद बंदियों केा भी टीबी होने का अधिक खतरा रहता है। अगर किसी बंदी में थोड़ा भी टीबी लक्षण दिखाई देते हैं तो संक्रमण के कारण पनप सकते हैं। इसके लिए जिला टीबी विभाग से प्रति सप्ताह एक वैन इलाज के लिए जाती है। यह वैन जेल में बंद बंदियों में टीबी की जांच भी करती है। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. फौजदार ने बताया कि मेरठ जिला जेल में तीन बंदियों के टीबी जैसी बीमारी से ग्रसित होने की जानकारी टेस्ट में आई थी। जिसमें से दो को बिल्कुल ठीक कर दिया। जबकि एक कैदी की रिहाई हो चुकी है। उसके बताए गए पते पर टीबी की दवाई भेजी जा रही है। बता दें कि जेल में टीबी की बीमारी के बारे में जब अन्य कैदियों को पता चलता है तो वे काफी डरे और सहमे हुए रहते है। जेल में सजा काटने के साथ ही उन्हें अपने सेहत की चिंता सताने लगती है। छूआछूत के डर से जेल में बंद अन्य कैदी व बंदी जेल में खाने-पीने से भी डरे रहते हैं।
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नाले में पड़े तरबूज पर सफाई कर्मी की पड़ी नजर, बाहर निकाला तो बुलानी पड़ी पुलिस हालांकि डा. फौजदार का दावा है कि एतिहात के तौर पर टीबी से ग्रसित बंदियों को अलग बैरक में रखा जाता है। लेकिन जेल सूत्रों के मुताबिक उनके साथ अन्य कैदी भी हैं। जो कि उनकी बीमारी से काफी परेशान रहते हैं। हालांकि बीमार तीन बंदियों में दो बिल्कुल ठीक हो चुके हैं जबकि एक जमानत पर जेल से बाहर है। ऐसा नहीं है कि इन बंदियों में टीबी की बीमारी मिलने से सिर्फ सामान्य कैदी व बंदी परेशान हैं। जेल में अगर किसी को टीबी के लक्षण पाए जाते हैं तो तो उनको दूसरे बैरक में रखा जाता है। अन्य स्वास्थ्य कैदियों से अलग।