मेरठ के जिला पशु चिकित्सा अधिकारी डा0 अनिल कंसल ने बताया कि इसके क्रियान्वयन के लिए पहले चरण में स्वेच्छा से पालने वालों को एक लाख गोवंश दिये जाने की योजना है। डीएम और मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी गई है कि जिलों में ऐसे इच्छुक किसानों, पशुपालकों और स्वयंसेवकों को चिह्नित करें जो निराश्रित गोवंश पालने को तैयार हैं। डीएम द्वारा ऐसे पशु पालने वालों को 30 रुपये प्रति गोवंश प्रतिदिन की दर से भरण-पोषण की धनराशि सीधे बैंक खाते में दी जाएगी। जिला प्रशासन द्वारा स्थापित एवं संचालित अस्थायी और स्थायी केंद्रों के जरिये गोवंश सिपुर्द किये जाएंगे और उनकी नियमित निगरानी भी होगी।पशुधन संख्या की दृष्टि से यह देश का सबसे बड़ा प्रदेश है।
सरकार द्वारा संचालित अस्थायी, स्थायी केंद्रों से सिपुर्द किये गए गोवंश से संबंधित रिकार्ड दर्ज किये जाएंगे। इसकी कार्यवाही डीएम द्वारा ग्राम पंचायत, ब्लाक और तहसील स्तर की स्थानीय समिति के माध्यम से की जाएगी। स्थानीय समिति प्रगति से अवगत कराएगी। सिपुर्दगी में लेने के बाद पालक किसी भी दिशा में गोवंश को बेचेगा नहीं और न ही छुट्टा छोड़ेगा। सीडीओ ईशा दुहून ने बताया कि मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को योजना को गांव तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है।