यह भी पढ़ेंः ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 2019: वट वृक्ष की पूजा आैर व्रत रखने से सुहागिनों की पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं र्इशान कोण में हो मंदिर घर में मंदिर सदैव ही र्इशान कोण या उत्तर पूर्व दिशा के कोने में स्थापित किया जाना चाहिए। घर की दिशा चाहे दक्षिण दिशा में ही क्यों न हो, अगर घर में मंदिर र्इशान कोण में है तो सारे वास्तु दोष दूर हो जाते हैं। र्इशान कोण में मंदिर होने से इसमें रह रहे लोगों का ज्ञान बढ़ाता है, आध्यात्मिक लाभ के साथ सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहता है।
यह भी पढ़ेंः Video इस शक्तिपीठ में चोरी करने से हाेती है पुत्ररत्न की प्राप्ति, माँ चूड़ामणि के वरदान से भरती है गोद मंदिर के आसपास एेसा न हो र्इशान कोण या उत्तर-पूर्व दिशा में मंदिर स्थापित करने के बाद कर्इ बातों का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है। र्इशान कोण में मंदिर के आसपास बाथरूम या शौचालय नहीं होना चाहिए। इससे घर में सुख-समृद्धि आैर खुशहाली का नाश होता है। मंदिर के आसपास न तो कूड़ेदान रखें आैर न ही झाड़ू या पोंछा। बैडरूम में मंदिर नहीं बनाना चाहिए, अगर जगह की कमी की वजह से है भी तो रात को मंदिर में पर्दा डाल दें। सीढ़ियों के नीचे मंदिर कभी नहीं होना चाहिए। न ही रसोर्इघर में मंदिर हो। साथ ही मंदिर चाहे जिस दिशा में हो मंदिर में गुंबद नहीं बनवाना चाहिए। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास हो जाता है। साथ ही मंदिर की आेर पैर करके नहीं सोना चाहिए। एक घर में एक से ज्यादा मंदिर भी नहीं होने चाहिए, वरना मानसिक क्लेश आैर विपत्तियां घेर लेती हैं।
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मंदिर के स्थान का रंग मंदिर की स्थापना र्इशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में सर्वश्रेेष्ठ मानी गर्इ है। अगर दूसरी दिशा में भी है तो मंदिर के आसपास का स्थान हल्के पीले रंग का होना चाहिए। यानि दीवारों का रंग हल्का पीला रखना चाहिए। पूजा हमेशा पूर्व दिशा की आेर मुंह करके की जानी चाहिए।
मंदिर के स्थान का रंग मंदिर की स्थापना र्इशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में सर्वश्रेेष्ठ मानी गर्इ है। अगर दूसरी दिशा में भी है तो मंदिर के आसपास का स्थान हल्के पीले रंग का होना चाहिए। यानि दीवारों का रंग हल्का पीला रखना चाहिए। पूजा हमेशा पूर्व दिशा की आेर मुंह करके की जानी चाहिए।
यह भी पढ़ेंः Dhumavati Jayanti 2019: देवी मां की साधना करें इस तरह, फिर देखें चमत्कार मूर्ति-तस्वीरों की ये स्थिति मंदिर में मूर्तियों-तस्वीरों को सही स्थिति में रखने का भी विशेष महत्व है। मंदिर में एेसी मूर्तियां व तस्वीरें न रखें जिन देवी-देवताआें के हाथ में दो से ज्यादा अस्त्र हों। मंदिर में एक ही भगवान की दो तस्वीरें हैं तो उन्हें आमने-सामने न रखें। देवी-देवताआें की मूर्तियों को मंदिर में कम से कम एक इंच दूरी पर रखनी आवश्यक हैं। मंदिर में मूर्तियां या तस्वीरें पूर्व या उत्तर दिशा में होनी चाहिए। मंदिर में भगवान विष्णु, श्री कृष्ण, सूर्य देव और कार्तिकेय की तस्वीर या मूर्ति है तो उनका मुख पश्चिम दिशा में, भगवान हनुमान की मूर्ति या तस्वीर दक्षिण-पश्चिम दिशा में होने के साथ-साथ गणेश, कुबेर, देवी लक्ष्मी, तथा नवग्रह का मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। ये दिशा इन देवी-देवताओं के लिए उत्तम है।
यह भी पढ़ेंः सोमवती अमावस्या: टहनी ताेड़ने से नहीं वट वृक्ष की पूजा करने से मिलेगा विशेष फल, जानिए पूजा विधि बदल जाएगी किस्मत मंदिर के स्थान, मूर्तियों-तस्वीराें की सही दिशा अन्य बातों का विशेष ध्यान रखने के बाद व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान आैर उसके लाभ मिलने लगेंगे। ज्योतिषाचार्य व वास्तुशास्त्री डा. ललित गर्ग के अनुसार घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होगा। परिवार में सुख-समृद्धि आैर खुशहाली आएगी आैर मानसिक व शारीरिक कष्टों से छुटकारे के साथ भाग्योदय भी होगा।