‘O’ ब्लड ग्रुप की दीवानी ये फीमेल मच्छर, शाम होते ही निकल जाती है शिकार की तलाश में
जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ‘A’ है उनकी तुलना में ‘O’ ब्लड ग्रुप वालों को एजिप्ट फीमेल मच्छर अधिक काटती है। यानी ये फीमेल मच्छर ‘O’ ब्लड ग्रुप वालों की दीवानी होती हैं।
‘O’ ब्लड ग्रुप की दीवानी ये फीमेल मच्छर, शाम होते ही निकल जाती है शिकार की तलाश में
मच्छर एक हानिकारक कीट है। मादा मच्छर ही अंडा देने के लिए इंसान या अन्य जंतुओं के रक्त चूसते हैं, जबकि नर मच्छर पेड़-पौधों का रस पीते हैं। यह हम नहीं कीट वैज्ञानिक का दावा है।
मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा के अलावा एनसीआर और सहारनपुर मंडल में एडीज एजिप्टी नामक नर व मादा मच्छरों का कुनबा बढ़ रहा है। कीट वैज्ञानिक डा. पीएन शुक्ला का दावा है कि इन जिलों के विभिन्न स्थाानों पर लिए गए नमूने व उनकी जांच के बाद यह बात सामने आई है। उनका कहना है कि इन जिलों में केवल मादा मच्छर खून से पोषण लेती है,
शाम होते ही शिकार की तलाश में निकलती है मादा मच्छर एनोफिलीज मादा मच्छर एनोफ़िलीज़ रात को काटती है। शाम होते ही यह शिकार की तलाश मे निकल पडती है। तब तक घूमती है जब तक शिकार मिल नहीं जाता। यह खड़े पानी के अन्दर अंडे देती है। अंडों और उनसे निकलने वाले लार्वा, दोनों को पानी की अत्यन्त सख्त जरुरत होती है।
इसके अतिरिक्त लार्वा को सांस लेने के लिए पानी की सतह पर बार-बार आना पड़ता है। मच्छर एक बार में अपने एक डंक से इंसान का 0.001 से 0.1 मिलीलीटर तक खून चूस लेते हैं।
घुटनों के नीचे काटता है डेंगू का मच्छर डा.शुक्ला ने बताया कि नवंबर डेंगू का पीक सीजन माना जाता है। दिलचस्प यह है कि डेंगू फैलाने वाली एडीज एजिप्टी नामक मादा मच्छर की उम्र एक महीना होती है लेकिन नवंबर वाली अवधि में 500 से लेकर 1000 तक मच्छर पैदा कर देती है। यह मच्छर तीन फुट से ज्यादा ऊंचा नहीं उड़ सकता। इस कारण केवल लोअर लिंब्स पर ही इसका डंक चलता है।
मच्छरों में सूंघने की तीव्र क्षमता मच्छरों में सूंघने की क्षमता इतनी तीव्र होती है कि वे 50 मीटर की दूरी से चीजों को सूंघ लेते हैं। जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ए है उनकी तुलना में ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों के प्रति मच्छरों का आकर्षण दोगुना होता है। तो वहीं बी ब्लड ग्रुप वाले लोगों के प्रति मच्छरों का आकर्षण ए ब्लड ग्रुप वालों से ज्यादा और ओ ब्लड ग्रुप वालों से कम होता है।
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