नहीं हारा हौसला,विदाई के दूसरे दिन तोड़ा दम अशोक की हालात खराब होती जा रही थी और दो दिसंबर केा बेटी की शादी थी। हाथों में मेंहदी लगी और लाल जोड़े में सजी बेटी को देखकर अशोक शायद मौत से कुछ देर तक रूकने के लिए कह रहे थे। तीन तारीख की सुबह 4 बजे बीमार अशोक ने बेटी का कन्यादान किया। इसके बाद वो अपनी मौत के प्रति निश्चित हो गए। बेटी की विदाई के बाद शाम को हालत बिगड़ी और अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पर रात 10 बजे अशोक ने प्राण त्याग दिए।
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6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिरने पर मुस्लिम महिला ने बांटे थे लड्डू मेंहदी लगे हाथों को देख उठते थे अशोक अशोक की पत्नी अंजु ने बताया कि उनके पति बेटी के मेंहदी लगे हाथ को देखकर कई बार सिसकी लेकर रो उठे थे। जिस दिन शादी थी उस दिन भी मंडप के बाहर बाराती ढोल और बैंड बाजा की धुन पर डांस कर रहे थे। दुल्हा घोड़ी बग्गी में सेहरा लगाकर बैठा था और दुल्हन बेटी कैसर से जूझ रहे अपने पिता अशोक के पास बैठी थी। शादी में आने वाले जिन रिश्तेदारों और मेहमानों ने ये दृश्य देखा उनका दिल पसीज गया।
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मेरठ में चाचा और नाना के सामने 10वीं के छात्र की हत्या, सरेआम बरसाईं गोलियां बीमारी के बाद भी बेटी की शादी में कोई कसर नहीं छोड़ी कैसर से ग्रसित होने के बाद भी अशोक ने धूमधाम से बेटी की शादी करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। परिवार में दो बेटी और एक बेटा है। यह दूसरे नंबर की बेटी की शादी थी। अशोक के शरीर पर बेटी की शादी की जिम्मेदारी थी। वो ईश्वर से यहीं मनाते थे कि बेटी का कन्यादान कर दूं उसके बाद ही अपने पास बुलाना। शायद उनके भाग्य को भी ये मंजूर था।