यह भी पढ़ेंः पुलिस विभाग को मास्क और सेनेटाइजर सप्लाई करने वाला मिला कोरोना संक्रमित, तीन दिन में मिले 61 मरीज सब्जी विक्रेता की इस तरह अंतिम विदाई ही नहीं, बल्कि कोरोना संक्रमण से हुई हर मौत पर एक जैसी अंतिम विदाई दी जा रही है। मेरठ में कोरोना से अभी तक नौ मौतें हुई हैं। परिवार के तीन से चार लोगों को ही अंतिम संस्कार तक पहुंचने की अनुमति है। मुखाग्नि देने वाले को पीपीई किट पहनकर अंतिम विदाई देने पड़ रही है। अस्पताल से एंबुलेंस में शव को तीन लेयर की पैकिंग के बाद सीधे श्मशान या कब्रिस्तान भेज दिया जाता है। वहीं उनके परिवार के चुनिंदा लोगों को बुलवा लिया जाता है। लॉकडाउन में न तो शव यात्रा, न ही परिवार के सभी लोग, रिश्तेदार और पड़ोसी अंतिम विदाई के समय नहीं होते, कोरोना वायरस ने जिंदगी और मौत के नियमों और कायदों को बदलकर रख दिया है। सोशल डिस्टेंसिंग से लोग एक-दूसरे के सुख-दुख के भी भागीदारी नहीं हो पा रहे हैं। हालांकि खुद को सुरक्षित रखने के लिए ये जरूरी भी है, लेकिन कोरोना वायरस ने सिरे से सब बदल दिया।
यह भी पढ़ेंः इस महामंडलेश्वर ने शराब की दुकानें खोले जाने के विरोध में मोदी-योगी को पत्र लिखकर की ये मांग दो दिन पहले मेरठ के सबसे युवा कोरोना संक्रमित 30 वर्षीय मरीज की मौत हो गई। लॉकडाउन से पहले प्रॉप्रटी डीलिंग का काम करता था, लॉकडाउन के बाद वह लोगों के लिए मास्क बना रहा था, लेकिन कोरोना संक्रमित होने के बाद उसकी तीन दिन के भीतर ही मौत हो गई। यह ऐसी मौत थी, जिसने भी सुना, हैरान रह गया। उसकी मौत के बाद अंतिम संस्कार में भी वैसे ही हुआ। दरअसल, उसकी मौत के बाद कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आयी तो मेडिकल कालेज प्रशासन ने मृतक की पत्नी व उसके भाइयों को ही श्मशान घाट में जाने की इजाजत दी। उसमें भी उन्हें पास तक नहीं जाने दिया, पत्नी दूर से खड़ी अपने पति के शव को देखकर दहाड़ मारकर रोती रही, उसका चेहरा तक नहीं देख पायी। उसके लिए सबकुछ बिखर गया था। कोरोना से मौत के बाद लोगों की इस तरह अंतिम विदाई देखकर हर कोई सिहर जाता है।