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सावधान बाजार में बिक रही नकली अदरक ऐसे करें पहचान
कोरोना काल के बाद अदरक का महत्व और अधिक बढ़ गया है। लोग अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अदरक ले रहे हैं लेकिन लेकिन चिंता की बात यह है कि अब बाजार में नकली अदरक की खेप उतारी जा रही है। ऐसे में आप बाजार से जो अदरक खरीदकर ला रहे हैं वह कितनी किफायती और सेहतमंद है ? इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। अब सवाल यह उठता है कि अदरक की पहचान कैसे की जाए ? ताे चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कौन सी अदरक सबसे अच्छी होती है और बाजार में कितने प्रकार की अदरक बेची जा रही है। इस बारे में हमने अदरक व्यापारी से बात की तो उन्हाेंने बताया किस तरह से बाजार में नकली अदरक बेचा जा रहा है। कर्नाटक की अदरक को माना जाता है सबसे अच्छा मेरठ की सब्जी मंडी में करीब एक दशक से अदरक का व्यापार कर रहे मंजूर आलम बताते हैं कि अदरक की कई तरह की वैरायटी और क्वालिटी होती हैं। बाजार में इस समय कर्नाटक, बंगलूरु, उड़ीसा और गुजरात से अदरक आ रही है। मंजूर आलम का कहना है कि कर्नाटक की अदरक सबसे बढ़िया और देशी होती है। वहीं बंगलूरु की अदरक का बोया जाने वाला कंद विदेशी होता है। यह अदरक हाईब्रिड क्वालिटी का होता है। आलम कहते हैं जो देशी और बेहतरीन अदरक होती है उसके भीतर जाली पड़ी होती है और रेशे होते हैं। वह अदरक सेहत के लिए और आयुर्वेद के लिए सबसे उम्दा होती है। कर्नाटक की अदरक इसी तरह की होती है। उन्होंने बताया कि अदरक खरीदते समय अदरक के भीतर जाली और रेशे का ध्यान रखें। खरीदते समय थोड़ी सी अदरक तोड़़कर देखने मात्र से जाली और रेशे का पता चल जाता है।
बाजार में अदरक बताकर बेची जा रही पहाड़ी तहड़
उत्तराखंड के पौड़ी गढवाल और चमोली के ऊपरी हिस्से में एक पेड़ होता है जिसे तहड़ बोला जाता है। इसका कंद भी बिल्कुल अदरक जैसा होता है। तहड़ हालांकि ज्यादा बड़ा पेड़ नहीं होता लेकिन इसकी ऊचाई करीब पांच फिट के आसपास होती है। इस तहड़ को पहाड़ में अदरक के स्थान पर आयुर्वेद के रूप में प्रयोग करते हैं लेकिन अब यही तहड़ मैदानी इलाकों में अदरक में मिलाकर बेची जा रही है। तहड़ सूखकर बिल्कुल अदरक जैसी हो जाती है और दिखने में भी बिल्कुल अदरक जैसी शक्ल-सूरत में होती है। इसको अदरक के बीच मिलाकर बेचा जा रहा है। हालांकि तहड़ को भी आयुर्वेद के रूप में पहाड़ों में प्रयोग किया जाता है लेकिन ये अदरक नही है।
उत्तराखंड के पौड़ी गढवाल और चमोली के ऊपरी हिस्से में एक पेड़ होता है जिसे तहड़ बोला जाता है। इसका कंद भी बिल्कुल अदरक जैसा होता है। तहड़ हालांकि ज्यादा बड़ा पेड़ नहीं होता लेकिन इसकी ऊचाई करीब पांच फिट के आसपास होती है। इस तहड़ को पहाड़ में अदरक के स्थान पर आयुर्वेद के रूप में प्रयोग करते हैं लेकिन अब यही तहड़ मैदानी इलाकों में अदरक में मिलाकर बेची जा रही है। तहड़ सूखकर बिल्कुल अदरक जैसी हो जाती है और दिखने में भी बिल्कुल अदरक जैसी शक्ल-सूरत में होती है। इसको अदरक के बीच मिलाकर बेचा जा रहा है। हालांकि तहड़ को भी आयुर्वेद के रूप में पहाड़ों में प्रयोग किया जाता है लेकिन ये अदरक नही है।
अदरक खरीदते समय रखे इन बातों का ध्यान अदरक व्यपारी मंजूर ने बताया कि देशी अदरक की पहचान करना बेहद असान है। यह बारीक चाल की होती है। इसकी पहचान खुशबू और अदरक में पड़ने वाली जाली से भी की जा सकती है। बंगलुरु की अदरक ज्यादा दिन तक घर में नहीं रखी जा सकती जबकि कर्नाटक की अदरक कई दिनों तक घर में रखा जा सकता है। यह जितनी पुरानी होगी उतना ही इसका स्वाद और गुण बढ़ेगा। अदरक जितना जलीदार और रेशेदार होगा वह उतनी ही गुणकारी और स्वाद वाली होगी। मंजूर का कहना है कि अदरक खरीदने से पहले उसकी गंध और स्वाद देख लेना चाहिए।