मेरठ ( meerut news ) लीवर सीरप और आयुर्वेदिक दवाइयों ( Ayurvedic medicines ) पर भरोसा करते हैं और उनका प्रयोग करते हैं तो सावधान हो जाएं। उपयोग में की जा रही आयुर्वेदिक दवाइयां कहीं नकली तो नहीं यह भी जांच कर लें। यह हिदायत यूं ही नहीं दी जा रही दरअसल मेरठ में नकली आयुर्वेदिक दवाई बनाने वाली फैक्ट्री पकड़ी गई है। इस फैक्ट्री में नकली लीवर सीरप से लेकर एलोवेरा शैंपू ( shampoos ) तक सब कुछ घातक कैमिकल से बनाया जा रहा था।
बुद्धा एंक्लेव में चल रहा था गोरखधंधा
देर रात थाना खरखौदा पुलिस ने बिजली बंबा चौकी के पास स्थित बुद्धा एंक्लेव में एक मकान में छापा मारा। यहां से दवाइयों का जखीरा पकड़ा गया। पुलिस ने तीन आरोपितों को हिरासत में लिया है। खाद्य विभाग की टीम ने नमूने लिए हैं। इंस्पेक्टर संजय शर्मा के मुताबिक लिसाड़ी गेट क्षेत्र के तीन युवक अन्य युवकों के साथ मिलकर ए-बीएफ एक्टिव फार्मेसी के नाम से आयुर्वेदिक दवाई बनाने का कार्य कर रहे थे। ये लोग एक्सपायर माल पर अपनी फर्म के नई तिथि के रैपर लगाकर बाजार में सप्लाई करने का काम करते थे। साथ ही केमिकल और अन्य सामग्री मिलाकर नकली आयुर्वेदिक दवाई बनाते थे। पकड़े गए आरोपियाें ने अपने नाम अब्दुल समद, अब्दुल बासित और अकरम हैं।
देर रात थाना खरखौदा पुलिस ने बिजली बंबा चौकी के पास स्थित बुद्धा एंक्लेव में एक मकान में छापा मारा। यहां से दवाइयों का जखीरा पकड़ा गया। पुलिस ने तीन आरोपितों को हिरासत में लिया है। खाद्य विभाग की टीम ने नमूने लिए हैं। इंस्पेक्टर संजय शर्मा के मुताबिक लिसाड़ी गेट क्षेत्र के तीन युवक अन्य युवकों के साथ मिलकर ए-बीएफ एक्टिव फार्मेसी के नाम से आयुर्वेदिक दवाई बनाने का कार्य कर रहे थे। ये लोग एक्सपायर माल पर अपनी फर्म के नई तिथि के रैपर लगाकर बाजार में सप्लाई करने का काम करते थे। साथ ही केमिकल और अन्य सामग्री मिलाकर नकली आयुर्वेदिक दवाई बनाते थे। पकड़े गए आरोपियाें ने अपने नाम अब्दुल समद, अब्दुल बासित और अकरम हैं।
सीरप की लागत दस रुपये सप्लाई 90 रुपये में थी
पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे एक्सपायरी डेट की सीरप को दो शीशियों में भर देते थे उसके बाद उसमें कैमिकल की मिलावट करते थे। इस तरह एक शीशी सीरप तैयार करने में 10 रुपये लागत आती थी। जिसे बाजार में 90 रुपये में बेंचा जाता था। आरोपियों ने बताया कि वे इस माल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तरांचल, झारखंड, मध्य प्रदेश बिहार आदि में सप्लाई करते थे।
पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे एक्सपायरी डेट की सीरप को दो शीशियों में भर देते थे उसके बाद उसमें कैमिकल की मिलावट करते थे। इस तरह एक शीशी सीरप तैयार करने में 10 रुपये लागत आती थी। जिसे बाजार में 90 रुपये में बेंचा जाता था। आरोपियों ने बताया कि वे इस माल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तरांचल, झारखंड, मध्य प्रदेश बिहार आदि में सप्लाई करते थे।