यह भी पढ़ेंः पलायन मुद्दा और जुलूस के दौरान बवाल बने इन पुलिस अफसरों के हटने की वजह पश्चिम में लगातार फेल हो रहा खुफिया तंत्र मेरठ में निकाले गए शांति मार्च को लेकर पुलिस प्रशासन के पास सूचना तीन दिन पहले से थी, लेकिन उसे खुफिया तंत्र से यह नहीं पता चल सका कि मामला इतना बढ सकता है। इसलिए वह स्थिति का आंकलन पहले से नहीं कर सका। पुलिस और प्रशासन में भी इसको लेकर तालमेल की कमी रही। रविवार शाम मेरठ में बवाल के बाद सोमवार को भी फिर से मवाना में भीड़ जुटाई गई। यहां भी प्रशासन कमजोर दिखा। इंटरनेट बंद होने के बावजूद सब कुछ मैसेंजर पर फिक्स कर दिया गया और सभी को बता भी दिया गया। इस दौरान भी व्यवस्था नहीं बन पाई और भीड़ को रोका नहीं जा सका।
यह भी पढ़ेंः इस जिले में बहाल हुई इंटरनेट सेवा, जानिए प्रशासन ने क्यों लगाई थी रोक, देखें वीडियो इससे पहले उठा मेरठ का पलायन का मुद्दा पश्चिम में राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र मेरठ इन दिनों काफी चर्चा में है। इससे पहले प्रहलाद नगर में पलायन का मामला गरमाया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ने इस मामले में बयान जारी किया। पुलिस-प्रशासनिक अमला प्रहलाद नगर पहुंचा और वहां स्थिति की जांच पड़ताल की। इसके बाद से लगातार शहर का माहौल बिगड़ता चला गया। कभी धर्म परिवर्तन के नाम पर तो कभी मॉब लीचिंग को लेकर शहर में माहौल खराब किया जा रहा है। बीजेपी नेता विनीत शारदा के बताया कि रविवार को हुई घटना दुखद है। ये एक पूर्वनियोजित साजिश थी। विरोध प्रदर्शन को कोई मना नहीं करता, लेकिन तरीका हिंसात्मक नहीं होना चाहिए। ये साजिश ऐसी ही थी जैसी 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद के दौरान हुई थी। जिसमें प्रदेश के अधिकांश जिलों में हिंसा फैली थी।