पश्चिम यूपी में जब भी राजनीतिक आबो हवा बदलती है। इस बदलाव का असर देश की राजनीत पर भी पड़ता है। ब्रज भूषण शरण पर लगे यौन शोषण के आरोपों पर खाप पंचायतें एक हो गई हैं।
खाप पंचायतें ब्रज भूषण शरण की गिरफ्तारी की मांग कर रही हैं। महिला पहलवानों के समर्थन में किसान संगठन भी आ गए हैं। इससे भाजपा की नींद उड़ गई है। हरियाणा और पश्चिम यूपी के किसानों का मूड बदला तो आने वाले 2024 के आम चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है। इसको लेकर भाजपा से लेकर संघ तक सक्रिय हो गया है। भाजपा के क्षेत्रीय नेताओं ने इस मसले में केंद्रीय नेतृत्व को आगाह किया है।
भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों का आंदोलन पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में केंद्रित हो रहा है। गत दिनों सौरम चौपाल पर बुलाई गई सर्वखाप पंचायत में जो निर्णय लिए गए। वो भी केंद्र सरकार के लिए चेतावनी स्परूप ही हैं। बता दें कि इससे पहले सोरम की चौपाल पर 15 साल पहले किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत ने 2011 में सर्वखाप पंचायत बुलाई थी।
महिला पहलवानों के धरना प्रदर्शन से पहले देश में कृषि कानूनों के खिलाफ हुए बड़े आंदोलन में भी सोरम में सर्वखाप पंचायत नहीं हुई थी। यही कारण है, सर्वखाप पंचायत को खासा महत्व दिया गया है। पश्चिम यूपी के एक नेता ने बताया, उन्होंने और कई दूसरे नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को आगाह किया है।
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किसान संगठन और खाप चौधरी बिगड़े तो इसके नुकसान की भरपाई होना मुश्किल होगा। ब्रज भूषण शरण सिंह बनाम पहलवानों के दंगल का केंद्र पश्चिम उत्तर प्रदेश और हरियाणा बन सकता है।बीच का रास्ता निकालने का आग्रह
भाजपा नेता ने बताया कि नेतृत्व से विवाद में बीच का रास्ता निकालने का आग्रह केंद्र से किया गया है। इससे पहले, जाट आरक्षण और कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में भाजपा इस बिरादरी की नाराजगी को हरियाणा तक सीमित करने और कृषि कानूनों की वापसी के बाद डैमेज कंट्रोल करने में सफल रही थी।