मेरठ

Ground Report: कोरोना के कारण खेल कारोबार को रोजाना करोड़ों का झटका, उबरने में ही लग जाएंगे कई महीने

Highlights

नोटबंदी के बाद लॉकडाउन में खेल कारोबार को जबरदस्त नुकसान
जनता कर्फ्यू के बाद से खेल उद्योग के कारोबारी और कारीगर परेशान
दुनियाभर मेंं क्रिकेट और एथलेटिक्स खेल के उत्पादों का होता है निर्यात

 

मेरठApr 07, 2020 / 06:57 pm

sanjay sharma

मेरठ। जिले के खेल के कारखानों में काम बंद होने पर अधिकांश उद्यमियों की गतिविधियां घर तक सिमट गई हैं। उद्यमी अपनी फैक्ट्री जाने की बजाय घर पर ही नुकसान का आंकलन कर रहे हैं। कोरोना लॉकडाउन होने के बाद खेल का सामान बनाने वाले कारखानों में उत्पादन बंद हो गए हैं। खेल उद्योग में लगातार शट डाउन लिया जा रहा है। खेल उद्योग से जुड़े उद्यमी अपने घर पर रहकर कोरोना लॉकडाउन में हो रहे नुकसान का गुणा-भाग करने में जुट गए हैं। कोई बाहरी कारोबारियों पर बकाया उधारी जोड़ रहा है, तो कोई 21 दिन तक फैक्ट्री बंद रहने की अवधि के नुकसान का आंकलन कर रहा है। कुल मिलाकर मेरठ खेल उद्योग की हालत और अधिक खस्ता हो चुकी है।
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मेरठ की मिट्टी में उद्यमशीलता है। खेतीबाड़ी यहां की आर्थिक रीढ़ रही है, किंतु यहां के खेल उद्योग ने देश-विदेश में अपनी पकड़ बनाई है। दिल्ली के नजदीक होने से 50 के दशक में खेल की कई इकाइयां यहां लगी। इन इकाइयों में बने खेल के समानों की धाक देश ही नहीं विदेशों में भी हुई। मेरठ के उद्योगों में सबसे बड़ी क्रांति खेल उद्योगों से हुई। विभाजन के बाद पाकिस्तान के सियालकोट से मेरठ पहुंचे उद्यमियों ने क्रिकेट कारोबार शुरू किया। क्रिकेट का सामान बनाने वाली कंपनी एसजी, एसएस, बीडीएम समेत कई बड़ी कंपनियों के बल्ले, गेंद व अन्य क्रिकेट सामान की देश ही नहीं विदेशों में भी सप्लाई है।
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आज ओलंपिक से लेकर वल्र्ड चैंपियनशिप तक के खेल उत्पादों की नगरी मेरठ है। यह लगभग 1200 करोड़ की इंडस्ट्री है। दर्जन भर इकाइयां यूरोप, यूएसए, कनाडा, चीन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के 150 देशों तक निर्यात करती हैं। क्रिकेट, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, फुटबॉल, रोलबाल, वालीबॉल, हॉकी समेत तमाम उत्पादों के लिए मेरठ शहर दुनियाभर में मशहूर है। करीब दो लाख लोग प्रत्यक्ष या अपरोक्ष रूप से रोजगार से जुड़े हैं।
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प्रतिदिन हो रहा करोडों का नुकसान

पहले नोटबंदी और अब लॉकडाउन से प्रतिदिन खेल उद्योग को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। दत्ता स्पोर्ट्रस कंपनी के दीपक दत्ता का कहना है कि लॉकडाउन भले ही खुल जाए लेकिन खेल उद्योग पर इसका असर करीब आने वाले तीन से पांच महीने तक रहेगा, क्योंकि अधिकांश खेल का समान बाहर देशों में सप्लाई होता है। इंडस्ट्री को प्रतिदिन 5 करोड से अधिक का नुकसान हो रहा है। कारीगरों और व्यापारियों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।

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