यह भी पढ़ेंः Hanuman Jayanti 2020: हनुमान जयंती पर 430 साल बाद चार शुभ योग, लॉकडाउन में ऑनलाइन होंगे बाबा के दर्शन मेरठ की मिट्टी में उद्यमशीलता है। खेतीबाड़ी यहां की आर्थिक रीढ़ रही है, किंतु यहां के खेल उद्योग ने देश-विदेश में अपनी पकड़ बनाई है। दिल्ली के नजदीक होने से 50 के दशक में खेल की कई इकाइयां यहां लगी। इन इकाइयों में बने खेल के समानों की धाक देश ही नहीं विदेशों में भी हुई। मेरठ के उद्योगों में सबसे बड़ी क्रांति खेल उद्योगों से हुई। विभाजन के बाद पाकिस्तान के सियालकोट से मेरठ पहुंचे उद्यमियों ने क्रिकेट कारोबार शुरू किया। क्रिकेट का सामान बनाने वाली कंपनी एसजी, एसएस, बीडीएम समेत कई बड़ी कंपनियों के बल्ले, गेंद व अन्य क्रिकेट सामान की देश ही नहीं विदेशों में भी सप्लाई है।
यह भी पढ़ेंः Coronavirus: यूपी के इस जनपद में दो दिन में आयी 94 निगेटिव रिपोर्ट, स्वास्थ्य विभाग ने ली राहत की सांस आज ओलंपिक से लेकर वल्र्ड चैंपियनशिप तक के खेल उत्पादों की नगरी मेरठ है। यह लगभग 1200 करोड़ की इंडस्ट्री है। दर्जन भर इकाइयां यूरोप, यूएसए, कनाडा, चीन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के 150 देशों तक निर्यात करती हैं। क्रिकेट, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, फुटबॉल, रोलबाल, वालीबॉल, हॉकी समेत तमाम उत्पादों के लिए मेरठ शहर दुनियाभर में मशहूर है। करीब दो लाख लोग प्रत्यक्ष या अपरोक्ष रूप से रोजगार से जुड़े हैं।
यह भी पढ़ेंः अति उत्साह में की गई आतिशबाजी से बढ़ गया प्रदूषण, करीब तीन गुना खराब हुई वायु की गुणवत्ता प्रतिदिन हो रहा करोडों का नुकसान पहले नोटबंदी और अब लॉकडाउन से प्रतिदिन खेल उद्योग को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। दत्ता स्पोर्ट्रस कंपनी के दीपक दत्ता का कहना है कि लॉकडाउन भले ही खुल जाए लेकिन खेल उद्योग पर इसका असर करीब आने वाले तीन से पांच महीने तक रहेगा, क्योंकि अधिकांश खेल का समान बाहर देशों में सप्लाई होता है। इंडस्ट्री को प्रतिदिन 5 करोड से अधिक का नुकसान हो रहा है। कारीगरों और व्यापारियों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।