यह भी पढ़ेंः Meerut: Lockdown के दौरान दो सप्ताह में बने 13 नए कोरोना हॉटस्पॉट, 48 पॉजिटिव मरीज भी आए सामने नोटबंदी, जीएसटी और आर्थिक मंदी के बाद अब कोरोना ने सर्राफा कारोबारियों और कारीगरों की कमर तोड़ दी है। पिछले एक से डेढ़ महीने में कारोबारियों को काम ठप है। ऐसे में शादी-ब्याह की तारीखें भी पीछे खिसका दी गई हैं। जून तक का कारोबार नुकसान में दिखाई पड़ रहा है। ऐसे में अक्षय तृतीया भी आ गई है, इसमें लोग सोना खरीदना बेहद शुभ मानते हैं, क्योंकि लोग इस मौके पर सोना खरीदना मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मानते हैं। अक्षय तृतीया पर एक दिन में 80 से 90 करोड़ रुपये तक सोने का कारोबार होता है। यूनाइटेड ज्वैलर्स एडं मैन्यूफैक्चरर्स फेडरेशन आफ डंडिया के अध्यक्ष डा. संजीव अग्रवाल का कहना है कि कोरोनो संक्रमण से लॉकडाउन के चलते कारोबार चौपट हो गया है। उन्होंने बताया कि अक्षय तृतीया पर सोने की खरीद पर इसके भाव का कोई असर नहीं पड़ता है। जिन लोगों को खरीदना होता है वे चाहे एक ग्राम खरीदें लेकिन खरीदते जरूर हैं। इस बार वैसे ही सोना 45000 रुपये है।
यह भी पढ़ेंः भाजपा नेता के पिता को कोरोना की पुष्टि, घर पर रहकर लोगों की मदद को कहा गया उन्होंने बताया कि पिछले साल अक्षय तृतीया पर मेरठ में ब्रिकी 50 करोड को पार कर गई थी, जबकि नोटबंदी का लोगों पर जबरदस्त प्रभाव था। लॉकडाउन से अकेले मेरठ के ज्वैलरी कारोबार को अब तक 500 करोड से अधिक का नुकसान हुआ है। मनोहर सर्राफ एंड संस के सुनील बताते है कि मेरठ एशिया की सबसे बड़ी सोने की मंडी है। यहां पर सोने के जेवर बनाने का काम बहुत बड़े पैमाने पर होता है। अक्षय तृतीया के मौके पर कई महीनों पहले से ही ऑन डिमांड ज्वैलरी बनानी शुरू कर दी जाती थी, लेकिन इस बार लॉकडाउन में सर्राफा व्यापार की किस्मत भी लॉक हो गई है। मेरठ में शहर और कैंट क्षेत्र में सराफा बाजार हैं। इनसे अलग भी ज्वैलर्स की काफी दुकानें हैं। सर्राफा कारोबारियों का कहना है कि कोरोना वायरस से लॉकडाउन से सोना कारोबार के कारीगर भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है। पिछले डेढ महीने से इस बाजार पर कोरोना का असर छाया हुआ है। अभी छह महीने तक बाजार उबरने वाला नहीं है।