मेरठ

कोरोना का असर: सैकड़ों साल पुराना नौचंदी मेला लगातार दूसरी साल भी किया गया रद्द

Highlights- 600 साल पुराने मेले में होली के बाद आने लगती थी दुकानें- पिछले 50 साल से ग्वालियर से आए व्यापारी ने बया किया दर्द- सजने लगे थे झूले और होने लगी थी तैयारी

मेरठApr 04, 2021 / 11:20 am

lokesh verma

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक मेला नौचंदी एक बार फिर कोरोना भी भेंट चढ़ गया है। जिलाधिकारी मेरठ के बालाजी ने मेला रद्द करने के आदेश दिए हैं। कल तक जिस मैदान में व्यापारी मेले की तैयारी में जुटे थे, आज वही व्यापारी मायूस नजर आ रहे हैं। मेले में पिछले कई दशक से दुकान लगाने बाहर से आ रहे व्यापारियों को इस बार मेले में काफी अच्छा व्यापार होने की उम्मीद थी। व्यापारियों का कहना है कि पिछली बार भी पूरा महीना ऐसे ही बेकार गया था। इस बार भी मेला पूरी तरह से कोरोना संक्रमण की भेट चढ़ गया है।
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80 और 90 के दशक में हुए दंगे, लेकिन मेले में कायम रही एकता
बता दें कि नौचंदी मेला मेरठ में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल रहा है। 80 और 90 के दशक में जब मेरठ सांप्रदायिक दंगों की आग में झुलस रहा था, तो ऐसे में मेला नौचंदी हिंदू और मुस्लिमों की एकता की कड़ी साबित हुआ था। दंगे के दौरान मेला लगा हुआ था और चारों ओर मेरठ झुलस रहा था। उस दौरान सिर्फ मेला ही ऐसी जगह था, जहां पर दोनों संप्रदाय के व्यापारी सुबह शाम मिलकर खाना बनाते थे और खाते थे।
झूला व्यापारी बोला- इस आस में आए मेला लगेगा

झूला व्यापारी जिशान ने बताया कि पिछली बार भी हम आए थे एक साल तक पड़े रहे थे। इस बार भी मेला रद्द कर दिया गया। जिशान ने बताया कि वह बड़े उत्साह के साथ मेले में आए थे। उन्होंने झूला लगाना शुरू कर दिया था। अब उन्हें पुलिस वाले भी परेशान कर रहे हैं और कह रहे हैं अपना सामान यहां से उठाकर ले जाओ।
50 साल से ग्वालियर से आ रहे सॉफ्टी की दुकान लगाने

नौचदी मेले में पिछले 50 साल से ग्वालियर निवासी राकेश जैन साॅफ्टी की दुकान लगाते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि कल तक सब तैयारियां ठीक चल रही थीं। आज सुबह ही पता चला कि मेला कैसिंल कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि मेला क्यों कैसिंल किया गया यह समझ से परे है। राकेश ने कहा कि इस तरह से तो पंचायत चुनाव भी रद्द कर देने चाहिए।
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