यह भी पढ़ें- कोरोना ने फिर पकड़ी रफ्तार, बिना मास्क घूमने और पान-गुटखा खाकर सड़क पर थूकने वाले गिरफ्तार 80 और 90 के दशक में हुए दंगे, लेकिन मेले में कायम रही एकता
बता दें कि नौचंदी मेला मेरठ में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल रहा है। 80 और 90 के दशक में जब मेरठ सांप्रदायिक दंगों की आग में झुलस रहा था, तो ऐसे में मेला नौचंदी हिंदू और मुस्लिमों की एकता की कड़ी साबित हुआ था। दंगे के दौरान मेला लगा हुआ था और चारों ओर मेरठ झुलस रहा था। उस दौरान सिर्फ मेला ही ऐसी जगह था, जहां पर दोनों संप्रदाय के व्यापारी सुबह शाम मिलकर खाना बनाते थे और खाते थे।
झूला व्यापारी बोला- इस आस में आए मेला लगेगा झूला व्यापारी जिशान ने बताया कि पिछली बार भी हम आए थे एक साल तक पड़े रहे थे। इस बार भी मेला रद्द कर दिया गया। जिशान ने बताया कि वह बड़े उत्साह के साथ मेले में आए थे। उन्होंने झूला लगाना शुरू कर दिया था। अब उन्हें पुलिस वाले भी परेशान कर रहे हैं और कह रहे हैं अपना सामान यहां से उठाकर ले जाओ।
50 साल से ग्वालियर से आ रहे सॉफ्टी की दुकान लगाने नौचदी मेले में पिछले 50 साल से ग्वालियर निवासी राकेश जैन साॅफ्टी की दुकान लगाते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि कल तक सब तैयारियां ठीक चल रही थीं। आज सुबह ही पता चला कि मेला कैसिंल कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि मेला क्यों कैसिंल किया गया यह समझ से परे है। राकेश ने कहा कि इस तरह से तो पंचायत चुनाव भी रद्द कर देने चाहिए।