मेरठ

ईद पर होने वाले इस काम का इस्लाम से नहीं है कोई संबंध

सिर्फ भारत-पाकिस्तान में है ईद के मौके पर इस रिवाज का चलन

मेरठJun 12, 2018 / 01:57 pm

Iftekhar

ईद पर होने वाले इस काम का इस्लाम से नहीं है कोई संबंध

मेरठ. भारत और पाकिस्तान दोनों देश भले ही एक-दूसरे दुशमन नजर आते हो। लेकिन दोनों देशों में कुछ रस्में ऐसी हैं, जो ईद के मौके पर सरहद के दोनों तरफ मनाई जाती है। हालांकि, अन्य इस्लामी मुल्क में इस रस्म का चलन बिल्कुल भी नहीं है।जी हम बात कर रहे हैं ईद के मौके पर दी जाने वाली ईदी की। इसका चलन भारत में बंटवारे से पहले से ही चला आ रहा है। बहनों को भाई के हाथों ईदी लाने का इंतजार रहता है। ईद के मौके पर बडे़ अपने छोटों को ईदी का तोहफा देते हैं। समय बदला और आधुनिकता के इस दौर में अब बहन व उसके बच्चों के कपड़ों के साथ ही मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेटस भी ईदी के चलन में आ गए हैं। इसके अलावा गिफ्ट्स के साथ-साथ सूट, गोल्डन, डायमंड और नगदी भी ईदी के तौर पर दिए जाते हैं। हालांकि, ईदी देने के रस्म के बारे में कारी शफीकुर्रहमान का मानना है कि इस्लाम में ईदी का कोई जिक्र नहीं है। इस रिवाज का आगाज भारत में हुआ है, क्योंकि हिन्दुस्तान में लेन-देन का रिवाज है।

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ईदी के सामान से सजने लगे हैं बाजार
20 रमजान के बाद बहनों की ईदी देने की तैयारी शुरू हो जाती है। बाजारों में ईदी के सामान की दुकानें सजने लगी है। भाई ईदी लेकर जाने लगे है। बहनों को भी भाई, भतीजों द्वारा ईदी लाने वाली ईदी का इंतजार रहता है। जिनके भाई नहीं है, उनकी ईदी लेकर मां या पिता जाते हैं। ईद के दिन भी छोटे-छोटे बच्चों और बहनों को ईदी देने का रिवाज है। समय के साथ-साथ अब ईदी का ट्रेंड भी बदल गया। पहले ईदी में शीर की सामग्रियां भेजी जाती थी, लेकिन अब गिफ्ट्स, कपड़े, मिठाई देने का भी चलन हो गया है। ज्वैलरी में गोल्ड, डायमंड, चांदी तक ईदी में जाने लगी हैं। महंगाई की परवाह किए बगैर बहनों के लिए ईदी की खरीदी का दौर शुरू हो गया है।

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भारत की रस्म-ओ-रिवाज है ईदी
लोग भले ही ईदी की रस्म को जरूरी मानकर हर हाल में निभाते हैं, लेकिन इस्लाम धर्म में इसका कोई संबंध नहीं है। कारी शफीकुर्रहमान बताते हैं कि ईदी की रस्मो-रिवाज इस्लाम में वर्षों से चली आ रही है। हालांकि, हदीसों में ईदी का कोई जिक्र नहीं मिलता है किसी पैगम्बर ने किसी को ईदी को दिया हो। कारी शफीकुर्रहमान भी इससे इत्तेफाक रखते हैं। उनके मुताबिक दी फालतू की चीजें हैं। इस्लाम से इसका कोई मतलब नहीं है। ईदी सुन्नत भी नहीं है। यह भारत-पाकिस्तान में पैदा हुई रस्मो-रिवाज है। हिन्दुस्तान में लेने-देने का हिराब है, इसलिए यहां इसका चलन शुरू हुआ। भारत-पाकिस्तान के अलावा दुनिया के किसी भी इस्लामी मुल्क में ईदी नहीं दी जाती है।

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