यह भी पढ़ेंः कोरोना वायरस के तीनों संदिग्धों की रिपोर्ट आयी निगेटिव, लोगाें ने ली राहत की सांस कांग्रेस के पूर्व विधायक पंडित जयनरायण शर्मा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोडऩे पर निशाना साधते हुए कहा कि सिंधिया ने एक जन नेता, राजनीतिक आयोजक और प्रशासक के नाम पर बहुत थोड़ा काम किया है। जो काम उनके पिता माधवराव सिंधिया ने किया था, वह आसपास भी नहीं पहुंच सके। पूर्व विधायक ने कहा कि मैं उन लोगों के लिए हैरान हूं, जिन्हें कांग्रेस से जुड़े गांधी सरनेम से आपत्ति होती थी। वही लोग आज सिंधिया के पार्टी छोडऩे को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका बता रहे हैं। सिंधिया ने एक जननेता, राजनीतिक आयोजक और प्रशासक के तौर पर लोगों में बहुत कम लोकप्रियता हासिल की है।
यह भी पढ़ेंः Weather Alert: अगले दो दिन तेज हवाओं के साथ बारिश, फिर होगा मौसम साफ और बढ़ेगा तापमान चुनाव में वेस्ट यूपी के प्रभारी रहे थे सिंघिया बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 में ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस ने पश्चिम उप्र की कमान सौंपी थी। उसमें भी सिंधिया कोई खास करिश्मा नहीं दिखा सके थे। उस दौरान ही उनकी कांग्रेस नेतृत्व से दूरियां जगजाहिर हो चुकी थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंडित नवनीत नागर का कहना है कि अब समय आ गया है कि कांग्रेस पार्टी में मौकापरस्त नेताओं को दरकिनार कर देना चाहिए। पार्टी में जमीन से जुड़े और सड़कों पर काम करने वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं की जरूरत है। उन्हें ही आगे बढ़ाया जाना चाहिए। ज्योतिरादित्य सिंधिया को जब पिछले लोक सभा चुनाव में वेस्ट यूपी का प्रभारी बनाया गया था तो उन्होंने वेस्ट यूपी को समय नहीं दिया था। वह तीन-चार घंटे तक इंतजार करवाते थे और न ही उन्होंने यहां ज्यादा समय दिया।
यह भी पढ़ेंः Holi 2020: हर साल जहां होली पर होता था जमकर हुड़दंग, कोरोना के खौफ में रहा सूनापन ‘कांग्रेस का वर्चस्व बर्दाश्त नहीं कर पा रही भाजपा’ कांग्रेसी नेता अभिमन्यु त्यागी का पूरे प्रकरण पर कहना है कि नेताओं के आने जाने से पार्टी पर कुछ असर नहीं पड़ता। आज सत्ता के केंद्र में भाजपा है, इसलिए वे कांग्रेस का वर्चस्व बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। जिस तरह से पिछले कई विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी बढत बनाई है उससे भाजपा बौखलाई हुई है। इसलिए वह ओछे दरजे की राजनीति पर उतर आई है। इसी कारण मप्र में भाजपा ने सत्ता हथियाने के लिए ये खेल खेला है। उन्होंने कहा कि भाजपा की नजरें उन राज्यों पर हैं जहां पर कांग्रेस की सत्ता है। भाजपा अपनी कुटिल चालों से कांग्रेस शासित प्रदेशों को हथियाना चाहती है।