यह भी देखेंः VIDEO: टीकाकरण को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने किया ये काम तो प्रधानाचार्य ने डीएम को भेजी शिकायत जानिये क्या है रूबेला मिजिल्स मेरठ के जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. विश्वास चौधरी ने बताया कि रुबेला रोग जीनस रुबिवायरस के वायरस द्वारा होता है। रुबेला संक्रामक है, लेकिन प्रायः हल्का वायरल संक्रमण होता है। हालांकि रुबेला को कभी-कभी जर्मन खसरा भी कहते हैं, रुबेला वायरस का खसरा वायरस से कोई संबंधित नहीं है। उन्होंने बताया कि दुनिया भर में, विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों में वर्ष 2012 में लगभग एक लाख रुबेला मामले सामने आए। हालांकि संभावित रूप से वास्तविक मामले इससे कहीं अधिक बताये जाते हैं। 2012 में सबसे अधिक मामलों वाले देश थे टिमोर-लेस्ट, मेसिडोनिया, थाइलैंड, ताजिकिस्तान, और सीरिया आदि थे।
यह भी पढ़ेंः फौजी की पत्नी हाइवे पर पैदल चलकर समाज को दे रही बेटियों से जुड़ा ये संदेश, अब तक तय किया इतना सफर, देखें वीडियो ये हैं इसके लक्षण सीएमओ डा. राजकुमार बताते हैं कि रुबेला के लक्षणों में शामिल हैं कम बुखार, जी मिचलाना के साथ ही गुलाबी या लाल चकत्तों के निशान जो लगभग 50-80 प्रतिशत मामलों में उत्पन्न होते हैं। चकत्ते प्रायः चेहरे पर निकलते हैं, नीचे की ओर फैलते हैं और 1-3 दिनों तक रहते हैं। वायरस के संपर्क में आने के 2-3 दिनों के बाद चकत्ते निकलते हैं। सर्वाधिक संक्रामक अवधि होती है चकत्ते निकलने के 1-5 दिनों तक। रुबेला विशिष्ट रूप से विकसित हो रहे भ्रूण के लिए खतरनाक होता है। अधिक जानकारी के लिए नीचे दिया गया खंड जटिलताएं देखें।
ऐसे फैलता है रूबेला वायरस वायुजनित श्वसन के छींटों द्वारा फैलता है। संक्रमित व्यक्ति रुबेला के चकत्तों के निकलने के एक हफ्ते पहले भी, और इसके पहली बार चकत्ते निकलने के एक हफ्ते बाद तक संक्रामक हो सकते हैं। (यह बहुत ही संक्रामक होता है जब चकत्ता पहली बार निकलता है) इसके साथ जन्मे बच्चे एक वर्ष से अधिक समय तक दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। रुबेला के मामले जाड़े के अंत में या बसंत के शुरुआत में अपने चरम पर होते हैं।