मेरठ

बेटे की लाश को ठेले पर लिए घूमती रही महिला, चौकी इंचार्ज ने करवाया अंतिम संस्कार; जानें पूरा मामला

Meerut News: यूपी के मेरठ में एक बार फिर से मानवता शर्मसार हुई। बेटे की लाश को ठेले पर लिए घूम रही महिला लोगों से गुहार लगाती रही। लेकिन किसी ने महिला की नहीं सुनी। उसके पास बेटे का अंतिम संस्कार करने के पैसे नहीं थे।

मेरठSep 06, 2023 / 10:15 am

Kamta Tripathi

शव को ठेले पर रखकर अंतिम संस्कार के लिए चौराहे पर लोगों से मदद मांगते मां—बेटे।

Meerut News: मेरठ के तेजगढ़ी चौराहे पर एक महिला अपने बेटे की लाश को ठेले पर लिए लोगों से मदद की गुहार लगा रही थी। गरीब महिला बेटे का अंतिम संस्कार करना चाहती थी। लेकिन उसके पास बेटे का अंतिम संस्कार करने के रूपए नहीं थे। चौराहे पर हर आने जाने वालों से महिला आंखों में आंसू लेकर बेटे के अंतिम संस्कार में मदद की गुहार लगा रही थी। लेकिन किसी का भी दिल नहीं पसीज रहा था। मंगलवार की दोपहर 35 डिग्री तापमान में धूप में ठेले पर शव और आंखों में बेटे के बिछुडने का गम और उसके अंतिम संस्कार के लिए तड़पती मां की ममता देख किसी का भी दिल विचलित कर देता। लेकिन कोई उस बुढ़िया की मदद को सामने नहीं आया। लेकिन इसी बीच तेजगढ़ी चौकी इंचार्ज की नजर उस गरीब बुढ़िया पर पड़ी तो उससे देखा नहीं गया। चौकी इंचार्ज उसके पास पहुंचा तो बिना कुछ सुने ही पूरा मामला समझ गए।

चौकी इंचार्ज अमित मलिक ने लोगों को मदद के लिए कहा। चौकी इंचार्ज अमित मलिक के निवेदन करने पर कुछ लोग मदद को आगे आए और इसके बाद गरीब बुजुर्ग के बेटे का अंतिम संस्कार सूरज कुंड में हो सका। तेजगढ़ी चौराहे के निकट एक युवक का शव पड़ा था। घंटों तक लोग वहां से गुजरते रहे, किसी ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। दोपहर करीब तीन बजे परिवार के लोग युवक को तलाश करते हुए वहां पहुंचे। बेटे का शव देखकर मां बिलख पड़ी। जिस पर लोगों की भीड़ जमा हो गई लेकिन, किसी ने मदद का प्रयास नहीं किया।

इस बीच बेटे का शव ले जाने के लिए ठेला ले आई और शव को उस पर लादकर चल दी। बुजुर्ग महिला बेटे के अंतिम संस्कार कराने के लिए लोगों के आगे गिड़गिड़ाते रही। लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। जिसके बाद महिला पर तेजगढ़ी पुलिस चौकी इंचार्ज अमित मलिक की नजर पड़ी।
चौकी इंचार्ज की पहल पर लोगों ने अंतिम संस्कार के लिए पैसे इकट्ठा किए। जिसके बाद युवक के शव अंतिम संस्कार किया गया। मृतक की पहचान राजू के रूप में हुई। जो मूलरूप से इटावा का रहने वाला था। वह कई सालों से परिवार को लेकर यहां रह रहा था। अंतिम संस्कार के बाद बचे पैसे परिजनों को दे दिए। जिससे कि अंतिम संस्कार के बाद और दूसरे मृतक संस्कार किए जा सके।

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