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इसके अलावा रितु उन छात्रों की करियर काउंसलिग भी करती हैं। जिनको अपने भविष्य के बारे में कोई जानकारी नहीं होती या फिर जो यह तय नहीं कर पाते कि उनको हाईस्कूल या इंटर के बाद करना क्या है। रितु बताती हैं कि उनके पास प्रतिदिन करीब तीस से 40 बच्चे करियर की सलाह लेने के लिए आ रहे हैं। रितु से जब पूछा गया कि इंटर करने के बाद बच्चे को अपना करियर चुनने के लिए किन चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए तो उनका कहना था कि बच्चे को अपने करियर के लिए हाईस्कूल के बाद से ही सजग हो जाना चाहिए। उसे हाईस्कूल के बाद से ही यह तय करना चाहिए कि उसे आगे चलकर क्या बनना है। किस फील्ड में जाना है। उन्होंने बताया कि आजकल सरकारी जाॅब में बहुत अच्छा स्कोप है। सिविल सर्विसिज की ओर छात्रों का रूझान अधिक बढ़ा है। पहले जहां गिनती के छात्र आईएएस और पीसीएस की तैयारी करते थे। आज यह संख्या लाखों में पहुंच गई है। आईएएस और पीसीएस बनने वाले छात्र इंटर के बाद सीधे बीए में दाखिला लेते हैं। क्योकि आईएएस और पीसीएस के आर्ट साइट के सबजेक्ट पर पकड़ होना बहुत जरूरी होता है।
यह भी पढ़ेंं : Nasbandi के इन आंकड़ों को देख आप भी कहेंगे- ‘समझदारी दिखाने में पुरुषों से 500 कदम आगे हैं महिलाएं’ इसके लिए जरूरी है कि उनका बेस मजबूत हो। यदि शुरू से ही आर्ट साइट के सबजेक्ट में बच्चे की पकड़ मजबूत होगी तो उसे आईएएस और पीसीएस तैयारी में आसानी हो जाती है। उन्होंने बताया कि छात्रों के अभिभावकों को अपनी मनमानी बच्चे के ऊपर नहीं थोपनी चाहिए। कई अभिभावक चाहते हैं कि उनका बच्चा बड़ा होकर डाक्टर बने, इंजीनियर बने। जबकि बच्चा कुछ और बनना चाहता है। वह डर के कारण परिजनों से अपने मन की बात नहीं कर पाता। इसलिए बच्चे पर अपनी पसंद जाहिर करने से पहले उसकी पसंद पूछ लेनी चाहिए कि आखिर वह किस क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहता है।
उन्होंने बताया कि आजकल प्राइवेट फील्ड मेें जाने वाले भी आईएएस और पीसीएस की तैयारी के अलावा एसएससी और अन्य सरकारी सेक्टर की ओर आकर्षित हो रहे हैं। कई ऐसे बच्चे उनके पास हैं जो बीटेक और एमबीए करने के बाद सिविल की तैयारी कर रहे हैं। जिन बच्चों का चयन विवि की मैरिट लिस्ट में नहीं हुआ है। उन्हें हताश होने या परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। वे विवि से स्नातक की प्राइवेट परीक्षा दे सकते है। ऐसे छात्रों के पास प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने का सुनहरा अवसर है। वे अपने खाली समय का उपयोग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कर सकते हैं।