यह भी पढ़ें- बुलंदशहर हिंसा: भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी ही सरकार के खिलाफ कह दी ये बड़ी बात, मच गया हड़कंप, देखें वीडियो- सुमित के परिजनों के अनुसार, सुमित ने यूपी पुलिस सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा दी थी, जिसका रिजल्ट अभी आना है। साथ ही अन्य परीक्षा की तैयारी भी कर रहा था। सोमवार दोपहर को सुमित का एक दोस्त अरविंद के घर पर शादी का कार्ड देने के लिए आया हुआ था। चाय पीने के बाद उसका दोस्त बोला कि वह उसे रास्ते में छोड़ आए तो सुमित उसे बाइक पर लेकर गया था। सुमित उसे छोड़ने के लिए बस स्टैंड के लिए निकला था। इन दोनों के पहुंचने से पहले ही वहां पर बवाल चल रहा था। इन लोगों ने वहां से निकलने की कोशिश की, लेकिन इसी दौरान किसी ने सुमित को गोली मार दी और वह घायल हो गया। घायल अवस्था में उपचार के लिए उसको मेरठ भेजा गया, लेकिन उसकी रास्ते में ही मौत हो चुकी थी। सुमित के शव को मेरठ के आनंद हॉस्पिटल की मोर्चरी में रखा गया। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से जब सुमित के शव को देखने की बात की तो बताया गया कि मोर्चरी में ताला लगाकर पुलिस चली गई है। उसकी बहन ने शव की मांग की। इस पर मृतक सुमित के भाई और पिता को पुलिस अज्ञात स्थान पर ले गई। इसकी जानकारी करने की कोशिश की गई तो इसका भी कोई सुराग नहीं लग पाया है।
यह भी पढ़ें- बुलंदशहर हिंसा: आधे घंटे तक खेत में खड़ी जीप से उल्टे लटके रहे इंस्पेक्टर सुबोध, साथी पुलिसकर्मी छोड़कर भागे, वीडियो वायरल- वहीं अस्पताल पहुंचे भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी का कहना है कि मोर्चरी का ताला लगाने की सूचना मिली थी, जो कि गलत थी। मेडिकल थानाध्यक्ष सतीश चंद चाबी अपने साथ ले गए यह भी गलत है। उन्होंने अपनी ही सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए और कहा कि यह कानून व्यवस्था में पुख्ता कदम न उठाने के कारण हुआ। उन्होंने बुलंदशहर में हुए बवाल पर दूसरे जिले का हवाला देते हुए पल्ला झाड़ते हुए पूरे मामले में बचते दिखाई दिए। जब लक्ष्मीकांत वाजपेई से सवाल किया कि यह किसकी साजिश हो सकती है तो उन्होंने इस पर भी गोलमोल जवाब दिया।