यह भी पढ़ेंः Navratri 2018: जेल के भीतर इस तरह देवी की भक्ति में लगे हैं बंदी यह दमखम है दोनों सांसदों में कांता कर्दम इससे पहले निगम चुनाव में भाजपा से ही मेयर का चुनाव लड़ चुकी हैं और वह बसपा प्रत्याशी सुनीता वर्मा से चुनाव हार गई थी। चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की हार को लेकर संगठन के कुछ पदाधिकारियों पर भी बसपा प्रत्याशी के लिए भीतरखाने काम करने के आरोप लगे थे। पश्चिम उप्र में भाजपा के पास दलितों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई दमदार चेहरा नहीं था। कांता कर्दम को दलितों खासकर अनुसूचित जाति के बीच पैठ बनाने और महिला कोटा पूरा करने के उद्देश्य से मैदान में उतारा। भाजपा का किसान चेहरा विजय पाल तोमर चौधरी चरण सिंह के साथ ही राजनीति में उतरे थे। 1998 में उन्होंने भाजपा का दामन थामा था। भाजपा में उनकी गिनती किसानों की राजनीति के पुरोधा और तेजतर्रार नेताओं में होती है। साथ ही भाजपा ने विजय पाल तोमर के जरिए ठाकुर वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी की है।
Navaratri 2018: सिद्धपीठ मां काली मंदिर की महा आरती में होती है मुराद पूरी आवास पर मनाया जश्न कांता कर्दम और विजय पाल सिंह तोमर के राज्यसभा सांसद बनने की घोषणा के साथ ही दोनों नवनिर्वाचित सांसदों के आवास पर समर्थकों की भीड जमा हो गई। समर्थकों ने जमकर आतिशबाजी की और मिठाइयां खिलाकर एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया। मेयर का चुनाव हारने के बाद जहां कांता कर्दम के आवास पर सन्नाटा हुआ करता था। राज्य सभा की इस जीत ने उनके समर्थकों के चेहरे पर खुशी ला दी।