मेरठ

आईपीएल में सटोरियों की मदद कर रहा ये मोबाइल ऐप, एक-एक गेंद पर लगा लाखों-करोड़ों का सट्टा

दुबई में हो रहे आईपीएल पर मेरठ में करोड़ों का सट्टा लग रहा है। मेरठ में आईपीएल की एक-एक गेंद, रन, विकेट, चौका आदि पर सटोरिए हार-जीत का दांव लगा रहे हैं। हैरानी की बात कि इस बार मेरठ में चल रहे करोड़ों के इस दांव की भनक स्थानीय पुलिस केा नहीं है। यह भी हो सकता है कि अगर ऐसा हो भी तो पुलिस शांत बनी हुई है।

मेरठOct 16, 2021 / 10:38 am

Nitish Pandey

मेरठ. देश में आईपीएल होता था तो पुलिस सक्रिय हो जाती थी। मेरठ में कई बार आईपीएल के मौके पर होटलों से मोबाइल और अन्य हाईटैक सामानों के साथ सटोरिए गिरफ्तार हुए। लेकिन इस बार दुबई में हो रहे आईपीएल पर मेरठ की पुलिस तो खामोश है लेकिन सटोरिए करोड़ों के वारे-न्यारे कर रहे हैं। आईपीएल भले ही दुबई में चल रहा हो लेकिन मेरठ में सटोरियों के तार हर सीजन की तरह इस बार भी आईपीएल के पहले मैच से ही करोड़ों रुपये की सट्टेबाजी से जुड़ गए थे। सटोरिए मेरठ से लेकर दिल्ली और मुंबई में भी हर गेंद, रन, विकेट और जीत-हार पर दांव लगा रहे हैं।
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गुरु ऐप पर मिलती है सटोरियों को डब्बा की जानकारी

कोरोना काल की वजह से स्थगित हुए आईपीएल के बाकी मैचों की शुरुआत यूएई में 19 सितंबर से हो चुकी है। खिलाड़ियों से ज्यादा आईपीएल के शुरू होने का इंतजार सट्टा खेलाने वाले (डब्बा) और खेलने वालों को था। सट्टा खेलने वालों ने अपने मोबाइल में क्रिकेट लाइन गुरू ऐप लोड कर रखा है। इस ऐप की खासियत यह है कि जब टीवी की स्क्रीन पर बालर रन अप पर दौड़ता दिखता है, उस समय इस ऐप में उस गेंद पर रन बनने या विकेट गिरने की जानकारी मिल जाती है।
प्रोजेक्टेड रन से लेकर जीत-हार पर दांव

सट्टा खेलने वाले लोग दो तरह से पैसा लगाते हैं। क्रिकेट लाइन गुरु ऐप पर यह प्रोजेक्ट किया जाता है कि पहली पाली में बैटिंग करने वाली टीम हर पांच ओवर में कितना रन बनाएगी या नहीं बना पाएगी। कुछ लोग प्रोजेक्टेड रन बन जाने पर सट्टा लगाते हैं तो कुछ लोग प्रोजेक्टेड रन नहीं बनने पर। इसके अलावा टीम की जीत को लेकर सट्टा अलग से लगाते हैं। रोज कितना सट्टा लगता होगा, इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि एक-एक व्यक्ति एक दिन में दो से पांच लाख रुपये तक का सट्टा लगाते हैं।
दोपहर 12 बजे तक किया जाता है लेन-देन

आईपीएल के मैच में सट्टा लगाने का काम मेरठ में एक दर्जन से ज्यादा स्थानों पर किया जा रहा है। सट्टेबाज ठिकाना बदलते भी रहते हैं। सट्टा लगाने वाले को लोग कोड में डब्बा बोलते हैं। सब काम मोबाइल पर होता है। सट्टे का हिसाब रोज दिन में 12 बजे तक कर दिया जाता है। अगर सट्टा लगाने वाला जीतता है तो उसे 12 बजे तक पैसा मिल जाता है और अगर वह हारता है तो उसे भी सट्टा खेलाने वाले को दोपहर 12 बजे तक पैसा हर हाल में दे देना पड़ता है। 20 दिन में करोड़ों रुपये का वारा-न्यारा हो चुका है।
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