मेरठ

Police Encounter: मुठभेड़ में मारे गए बदमाशों से बरामद प्रतिबंधित हथियार पुलिस अफसरों को हैरत में डाल रहे, देखें वीडियो

खास बातें

अत्याधुनिक हथियारों का ट्रांजिट हब बन गया है पश्चिम उत्तर प्रदेश
पुलिस ने समझ पा रही कि कहां से आए प्रतिबंधित बोर के हथियार
एेसे हथियारों का प्रयोग भारतीय सेना या अन्य सुरक्षा बल ही कर सकते हैं

मेरठJul 17, 2019 / 07:17 pm

sanjay sharma

Police Encounter: मुठभेड़ में मारे गए बदमाशों से बरामद प्रतिबंधित हथियार पुलिस अफसरों को हैरत में डाल रहे

केपी त्रिपाठी, मेरठ। यूपी पुलिस ने मेरठ रेंज में एक के बाद एक एनकाउंटर करते हुए मंगलवार को चार इनामी बदमाशों को मार गिराया। इन बदमाशों के मारे जाने के बाद पुलिस ने भले ही राहत की सांस ली हो, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये हैं कि मारे गए बदमाशों के पास से बरामद अवैध अत्याधुनिक हथियार आखिर आए कहां से। जो अत्याधुनिक हथियार बरामद हुए, वे प्रतिबंधित बोर हैं और हथियार रखने के शौकीन आम लोग ऐसे हथियारों के सपना ही देख सकते हैं। ढेर हुए बदमाशों से बरामद प्रतिबंधित प्वाइंट 30 बोर का पिस्टल आखिर कहां से आया, ये भी जांच का विषय है। यह आम लोगों के लिए प्रयोग के लिए नहीं है।
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बरामद हथियार देखकर पुलिस परेशान

इन अत्याधुनिक प्रतिबंधित बोर के अवैध हथियारों ने पुलिस और प्रशासन को परेशान कर दिया है। आखिर ये अत्याधुनिक हथियार वेस्ट यूपी की जरायम दुनिया में कहां से पहुंच रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान भी मेरठ पुलिस द्वारा छापेमारी में कई अवैध हथियारों की फैक्ट्री पकड़ी गई। जिसमें अत्याधुनिक प्रतिबंधित बोर की पिस्टल और अन्य स्वचालित हथियार बरामद हुए थे।
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दो साल में इतने हथियार बरामद

खुफिया तंत्र द्वारा की गई जांच में भी कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। अप्रैल 2016 से मार्च 2018 तक के आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान मेरठ जिले से 500 अवैध हथियार बरामद हुए। इनमें तमंचे से लेकर अत्याधुनिक हथियार तक शामिल थे। अवैध हथियारों में तमंचे, पिस्टल और रिवॉल्वर की सबसे अधिक डिमांड हैं। बरामद हथियारों में प्रतिबंधित बोर के हथियार मिलना चौंकाने की बात है, जिसका प्रयोग भारतीय सेना के अलावा देश के अन्य सुरक्षा बलों को करने का अधिकार है।
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पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक जुड़े हैं तार

प्रारंभिक जांच में सामने आया था कि ये प्रतिबंधित बोर के अत्याधुनिक हथियार अपराधी हथियारों के सौदागरों से खरीदते हैं। जिनके तार नेपाल, पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक जुड़े हुए हैं। फरवरी 2019 में मेरठ में पकड़े गए अवैध हथियारों के साथ एक शख्स ने इसका खुलासा किया था। खुफिया विभाग के इनपुट के मुताबिक मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर और हापुड़ अवैध हथियारों की बड़ी मंडी हैं। एलआईयू की रिपोर्ट के अनुसार एक साल में मेरठ जोन में करीब 10 हजार से अधिक अवैध हथियारों की खपत होती है।
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अपराध और अवैध हथियारों का नाता

पश्चिम उप्र में चीनी मिलों के ठेकों के अलावा भू-अधिग्रहण और विकास के कारण क्राइम के ग्राफ में भी बढ़ोतरी होती रही है। पुलिस के जानकार बताते हैं कि आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने में आमतौर पर अवैध अत्याधुनिक हथियारों का ही प्रयोग किया जाता है। अपराधी हथियारों के उपयोग में यूज एंड थ्रो पर भरोसा करते हैं। चूंकि लाइसेंसी हथियार का इस्तेमाल होने से पकड़े जाने का खतरा ज्यादा होता है। इसलिए बड़े क्राइम असाइनमेंट के लिए प्रतिबंधित बोर या फिर कट्टे का इस्तेमाल अधिक होता है।
एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा

इस बारे में एडीजी प्रशांत कुमार से जब बात की तो उनका कहना था कि अपराधियों का कनेक्शन एक स्टेट से दूसरे स्टेट तक होता है। ऐसे में यह प्रतिबंतिध बोर इन तक पहुंचना आसान हो जाता है। हालांकि पुलिस इसकी जांच कर रही है। आधुनिक हथियार का मिलना वाकई बड़ी बात है। इसके लिए अलग से जांच करवाई जाएगी।
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