दरअसल, बदरखा गांव के रहने वाले अख्तर अली कुछ महीने पहले निवाड़ा गांव जाकर रहने लगे। पहले अख्तर अली और अब धर्म सिंह के बेटे गुलहसन की 27 जुलाई को बागपत के निवाड़ा गांव में हत्या हो गई और शव फांसी के फंदे पर लटका मिला। इस हत्या के खुलासे के लिए परिवार के लोग पुलिस से मिले, लेकिन आरोप है कि पुलिस ने हत्या को आत्महत्या दर्शा दिया। खूब थाने के चक्कर काटे, लेकिन इंसाफ नहीं मिला। इसके बाद पीड़ित परिवार को लेकर मुस्लिम समाज की भी पंचायत हुई, लेकिन वहां भी इन्हें धुत्कार दिया गया। इसके बाद पुलिस की प्रताड़ना और मुस्लिम समाज के साथ न देने से पूरे परिवार ने हिन्दू धर्म अपनाने का फैसला कर लिया और एसडीएम बड़ौत के यहां एफिडेविट दे दिया। इसके बाद वापिस अपने गांव बदरखा आकर धर्म परिवर्तन कर लिया। इसके बाद अख्तर अली से धर्म सिंह और उनके बेटे दिशाद से दिलेर सिंह, नौशाद से नरेंद्र और इरशाद से कवि बन गए और तीनों की पत्नियों, दो पोते और चार पोतियां भी धर्म परिवर्तन करने वालों में शामिल बताए जा रहे हैं। हालांकि, महिलाओं को पोतियों के साथ इस कार्यक्रम से दूर रखा गया।
मुस्लिम से हिन्दू बने लोगों को योगी है न्याय की उम्मीद
धर्म परिवर्तन कर मुसलमान से हिन्दू बने इन लोगों का कहना है योगी से उन्हें इंसाफ जरूर मिलेगा। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़े तो इसकी सीबीआई जांच भी होनी चाहिए। हालांकि, पीड़ित परिवारों की मांग पूरी होगी या नही अभी इस पर कुछ भी कहना मुश्किमल है। वहीं, परिवार द्वारा 20 लोगों के धर्म परिवर्तन की बात करने वाला परिवार भी अब मीडिया से दूरी बनाने के मूड में नजर आ रहा है। दरअसल, पहले 20 लोगों के धर्म परिवर्तन की खबरें आई थी। लेकिन हकीकत में 13 लोगों ने ही धर्म परिवर्तन किया है, जबकि सात लोग इस मामले से दूरी बनाए हुई है। अब यह मामला गरमाने के बाद बागपत कलेक्टर ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
अब इस मामले में देखने वाली बात यह होगी कि न्याय के लिये धर्म परिवर्तन करने वाले परिवार को अगर न्याय नहीं मिला तो क्या ये परिवार अपने धर्म में वापसी करेगा और अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह भी बड़ा सवाल होगा, क्या हिन्दू धर्म अपनाने वाले परिवार को हिन्दू अपना पाएंगे। कई ऐसे सवाल आज इस परिवार के सामने है। परिवार ने प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए जो धर्म परिवर्तन की शियासी चाल चली है, इसमें उनको कामयाबी मिलेगी या नहीं यह भविष्य के गर्भ में है, लेकिन धर्म परिवर्तन के इस मामले ने धर्म के ठेकेदारों को एक बार फिर सियासत करने का मौका दे दिया है । जानकारों को इस बात का अंदेशा है कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर चल रहे माहौल के बीच 2019 लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में मुस्लिमों का धर्म परिवर्तन एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। सबसे बड़ी बात यह कि इस कार्यक्रम से पुलिस और प्रशासन ने दूरी बनाए रखी।