मेरठ

800 रुपये किलो हुआ अश्वगंधा 18 सौ के पार कुटकी, 60 फीसद महंगी हुई ये आयुर्वेदिक औषधियां

Patrika Exclusive
Ayurvedic medicines कोरोना संक्रमण काल के दौरान लोगों का भरोसा बनी आयुर्वेदिक औषधियों पर भी महंगाई की मार पड़ी है। आयुर्वेदिक औषधियां 60 प्रतिशत तक महंगी हो गई हैं। अश्वगंधा आठ सौ रुपये,आंवला दो सौ रुपये, शतावर आठ सौ और कुटकी 18 सौ रुपये प्रति किलो के दाम से बाजारों में इस समय बिक रही है। माना जा रहा है कि देश में तेजी से बढ़ रही महंगाई का असर औषधियों पर पड़ रहा है।

मेरठSep 08, 2022 / 03:16 pm

Kamta Tripathi

आठ सौ रुपये किलो हुआ अश्वगंधा, कुटकी 18 सौ पर पहुंची, 60 फीसद महंगी हुई आयुर्वेदिक औषधियां

Ayurvedic medicines आयुर्वेदिक औषधियों के दामों में 23 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक बढ़ गए है। औषधि कमल गट्टा 68 फीसदी तक महंगा हुआ है। आंवला 33 प्रतिशत, अश्वगंधा 23 प्रतिशत, मुरब्बा सेब 33,शतावर 60,शिकाकाई 50, मुरब्बा आंवला 50 प्रतिशत, कुटकी 50 प्रतिशत और पनीर डोडी 46 प्रतिशत तक बाजारों में दाम बढ़े हैं। बताया जाता है कि आयुर्वेदिक औषधियों के दाम चार महीने में इतनी तेजी से बढ़े हैं।

आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग करने वालों का कहना है कि इससे इलाज काफी सस्ता पड़ता था। अंग्रेजी दवाइयों के मुकाबले आयुर्वेदिक दवाइयां काफी सस्ते में मिलती थी और सेहत के लिए हानिकारक भी नहीं होती थी। इससे इलाज भी अच्छे तरीके से होता था। लेकिन अब इन आयुर्वेद औषधियों के दाम बढ़ते जा रहे हैं। अगर यहीं हाल रहा तो जनता की पहुंच से आयुर्वेदिक इलाज बाहर हो जाएगा। जड़ी बूटियों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं।

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औषधि ——————दाम पहले ——————दाम अब
अश्वगंधा ——————-650 ——————–800
आंवला ———————150 ———————-200
शिकाकाई ——————-120 ———————180
शतावर ———————-550 ———————800
कुटकी ———————-1200 ——————-1800
कमल गट्टा ——————300 ——————–500
मुरब्बाआंवला —————–250 ——————–300
पनीर डोडी ———————150 ———————220

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आयुर्वेदिक स्टोर संचालकों का कहना है कि औषधियों के दाम बढ़ रहे हैं। यह सब महंगाई के चलते हो रहा है। जिसका असर औषधियों पर पड़ा है। औषधियां पीछे से महंगी आ रही हैं। आयुर्वेदिक कंपनियां हर महीने उत्पादों के दाम बढ़ा देती हैं। आगे दाम कम होने की कोई उम्मीद नही है। पिछले चार महीनों में औषधियों के दाम में तेजी से वृद्धि हुई है। प्रतिदिन उपयोग में लाई जाने वाली औषधियां अब महंगी हो रही हैं। औषधियां, जड़ी बूटी भी अब जनता की पहुंच से बाहर हो रही है।

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