यह भी पढ़ें- अभी टला नहीं है तूफान का खतरा, अगर आ जाए अंधड़ तो ऐसे करें खुद का बचाव पंडित कैलाश नाथ द्विवेदी के अनुसार भारत में ऐसे अशु? योग ?? बने हैं, जिस कारण से देश के विभिन्न हिस्सों में तूफान आ रहे हैं। वर्तमान समय पुनर्वसु नक्षत्र चल रहा था। इस नक्षत्र का स्वामी गुरु है। गुरु वर्तमान में कर्क राशि में उच्च का है। मंगल अपनी स्वयं की राशि मेष में है। शनि-मंगल के स्वामित्व वाली राशि वृश्चिक में गोचर हो रहा है। मंगल की पूर्ण अष्टम दृष्टि शनि पर पड़ रही है। मंगल की चतुर्थ पूर्ण दृष्टि गुरु पर है।
पंडित द्विवेदी ने बताया कि वर्तमान में देश में सूर्य और मंगल के साथ मेष राशि में युति बनाए हुए है। ऐसी स्थिति करीब 74 साल पहले बनी थी, यानी 30 जून 1944 को उस समय में भी देश में भयंकर तूफान और बारिश आई थी। उस समय उत्तरा नक्षत्र था, जिसका स्वामी सूर्य था। सूर्य, मंगल, शनि एवं बुध की युति मकर राशि में थी। नवांश में भी शनि एवं मंगल की युति थी। गुरु कन्या राशि में स्थित था। सूर्य ग्रह मंगल एवं शनि पर दृष्टि बनाए हुए था। इसी प्रकार के ही योग 15 मई 2018 तक बन रहे हैं। यह योग बेहद अशुभ होते हैं तथा पिछले कुछ सालों में आए तूफान और भूकंप के समय ऐसे ही योग बने थे। उस समय भी मंगल और शनि की एक-दूसरे पर परस्पर दृष्टि थी। उल्लेखनीय है कि शनि-मंगल के कारण ही तूफान और भूकंप के योग बनते हैं।
यह भी पढ़ें- आंधी-तूफान के बीच इन 6 राशियों वाले लोग रहे सावधान, जानिये क्या कहते हैं आपके सितारे और कौन से योग बनते हैं तूफान और भूकंप का कारक पंडित द्विवेदी के अनुसार जिस दिन सूर्य, मंगल, शनि या गुरु का नक्षत्र रहता है एवं इस दिन यदि मंगल की शनि या शनि की मंगल पर दृष्टि हो, सूर्य की मंगल पर या गुरु एवं मंगल की सूर्य पर परस्पर दृष्टि हो तो प्राकृतिक आपदा यानी तूफान, वर्षा और भूकंप आ सकता है।
तूफान और आंधी लाते हैं यह योग उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, पुनर्वसु, मृगशिरा, अश्विनी ये सात नक्षत्र वायु से संबंधित हैं। यदि इनमें से किसी नक्षत्र में आंधी और तूफान के योग बनते हैं तो सात दिन पूर्व से चारों ओर धूल उड़ने लगती हैं। वृक्षों को तोड़ने वाली हवा चलती है। सूर्य मंद होता है। जनता में ज्वर एवं खांसी की पीड़ा रहती है।
यह भी पढ़ें- Alert: देर रात यूपी के इन जिलों में तेज आंधी-तूफान ने बरपाया कहर, इतने दिन तक बंद रहेंगे स्कूल अग्नि संबंधी आपदाएं लाते हैं ये योग पुष्य, कृत्तिका, विशाखा, भरणी, मघा, पूर्वाभाद्रपद, पूर्वा फाल्गुनी, ये सात नक्षत्र अग्रि यानी तपन से संबंधित हैं। इनमें से किसी नक्षत्र में भूकंप आने के योग होते हैं तो सात दिन पूर्व आकाश लाल होता है। बस्तियों और घरों में आग की घटनाएं बढ जाती है। ज्वर एवं पीलिया के रोगी बढ़ जाते हैं।
अतिवृष्टि लाते हैं यह योग अभिजित, श्रवण, धनिष्ठा, रोहिणी, ज्येष्ठा, उत्तराषाढ़ा, अनुराधा, ये सात नक्षत्र वर्षा से संबंधित हैं। इनमें से किसी नक्षत्र में तूफान आने की संभावना हो तो सात दिन पूर्व से ही भारी वर्षा होती है। बिजली चमकती है। रेवती, पूर्वाषाढ़ा, आद्रा, अश्लेषा, मूल, उत्तराभाद्रपद, शतभिषा, ये सात नक्षत्र जल से संबंधित है। यदि इनमें से किसी नक्षत्र में तूफान आने के योग बनते हैं तो सात दिन पूर्व से समुद्र एवं नदी के तट पर भारी वर्षा होती है।