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बागपत में किसानों को सरकार द्वारा दिये गये अनुदान का फायदा मिले या न मिले, लेकिन इसका फायदा विभागीय अधिकारी भरपूर उठा रहे हैं। पीड़ित किसानों का माने तो केवल उन किसानों को ही अनुदान दिया जा रहा है, जो विभागीय अधिकारियों की जेबे गर्म कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार फॉर्म को ऑनलाइन करने में अधिकारी केवल उन लोगों के फार्म ही सही भरते हैं, जो उनको सुविधा शुल्क देते हैं, जबकि अन्य किसानों के फार्म में त्रूटि छोड़कर उनको सब्सीडी से वंचित कर दिया जाता है। ऐसे कितने ही किसान हैं, जो दो वर्षों से सब्सीडी के लिए चक्कर काट रहे हैं। लेकिन उनको सब्सीडी नहीं मिल रही है। हालांकि, सरकार द्वारा उपकरण खरीदने वाले सभी किसानों के फॉर्म भरने पर सब्सीडी उपलब्ध कराई जाती है। बता दें कि सरकार द्वारा खेती में प्रयोग होने वाले कृषि यंत्रों पर 50 से लेकर 80 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है। लेकिन सरकारी नौकरी में बैठकर सरकार को बदनाम करने का खेल कृषि विभाग में चल रहा है और अधिकारी मौन बैठकर भ्रष्टाचार कर मजा लूट रहे हैं।
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केस नम्बर वनः सुभानपुर निवासी किसान आनंद का कहना है कि एक साल हो गया, जब उन्होंने विभाग से छूट पर एक रूटावेटर खरीदा था। इसके बाद अधिकारी दो बार फार्म भरवा चुके हैं, लेकिन उनको कोई सब्सीडी आज तक नहीं मिली है। विभाग के अफसर हर बार बहाना बनाकर उनको टरका देते हैं। विभाग के कुछ लोग पैसे की भी मांग कर रहे थे और बताया कि जो पैसे देता है, उनको ही छुट का लाभ मिलता है।
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केस नम्बर दो- मुबारकपुर गांव निवासी जयकुमार का कहना है कि उनकी जमीन का कुछ मुआवजा मिला था, जिससे उन्होंने नया ट्रैक्टर खरीदा और कृषि विभाग में मिल रहे छूट के रूटावेटर के लिए पंजीकारण भी कराया, एक साल होने को को है उनको आज तक कोई छुट नहीं मिली है। अधिकारी पैसे लेकर ही छूट देते हैं।
केस नम्बर तीन- खेकड़ा निवासी जगबीर सिंह का कहना है कि दो बार रूटावेकर के लिए फॉर्म के कागज पुरे कर चुके हैं, लेकिन हर बार कुछ न कुछ कमी बताकर भगा देते हैं। केवल चुनिंदा किसानों को ही रूटावेटर की सब्डियी दी जा रही है। या जो उनकी सेवा पानी कर रहे हैं, उनको गरीबों के लिए न तो कोई छुट है ओर न ही उनकी सुनने वाला है।
मामला इतना ही नहीं है। चुनिंदा किसानों से सांट-गांठ कर सब्सीडी हड़पने का खेल भी विभागीय अधिकारी कर चुके हैं। अगर सही प्रकार से विभागीय कार्यालय की जांच की जाये तो कई प्रशासनिक अधिकारी कारवाई के दायरे में आ सकते हैं। वहीं, इस पूरे मामले को लेकर जिला कृषि अधिकारी सूर्य प्रताप शाही का कहना है कि उनको ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। अगर ऐसा है तो जांच कराई जायेई और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कारवाई की जाएगी।