मेरठ

कारगिल विजय दिवस 2018: हवलदार यशवीर सिंह के शहीद होने के बाद उनके परिवार के साथ सरकार ने किया यह खेल

सेकेंड राजपूताना राइफल्स बटालियन के इस जांबाज को मिला था वीर चक्र
 
 

मेरठJul 26, 2018 / 10:42 am

sanjay sharma

कारगिल विजय दिवस 2018: हवलदार यशवीर सिंह के शहीद होने के बाद उनके परिवार के साथ सरकार ने यह खेल किया

मेरठ। सेकेंड राजपूताना राइफल्स के हवलदार यशवीर सिंह ने कारगिल युद्ध में जांबाजी दिखाते हुए तोलोलिंग पर पाकिस्तानी सेना के तीन बंकरों को नष्ट करने में अहम भूमिका निभायी थी आैर 50 से ज्यादा दुश्मनों को मार दिया था। उनकी वीरता को देखते हुए मरणोपरांत उन्हें वीर च्रक प्रदान किया गया। हवलदार यशवीर सिंह के शहीद होने के बाद सरकार ने शहीद के परिवार को पेट्रोल पंप देने की घोषणा की थी। पहले तो इस पेट्रोल पंप के मिलने में शहीद यशवीर की पत्नी मुनेश को काफी मशक्कत करनी पड़ी। जब पेट्रोल पंप मिला भी, तो इस पर कंपनी ने अपना पूरा आधिपत्य जमा लिया। पेट्रोल पंप पर मुनेश सिर्फ मैनेजमेंट देखती हैं, बाकी सब कंपनी का है। वीर नारी मुनेश का कहना है कि सरकार ने पेट्रोल पंप देने में खेल किया है। पेट्रोल पंप की जमीन हमारी नहीं है, कंपनी कब इसे वापस ले ले, कुछ नहीं कह सकते। उन्होंने कहा कि उनके पति के शहीद होने के बाद मुख्यमंत्री, नेता आैर सैन्य अफसर उनके घर आए थे आैर बड़ी-बड़ी बातें की थी, लेकिन समय के साथ ये लोग हमें भूलते गए।
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13 जून 1999 को हुए थे शहीद

1999 में सेकेंड राजपूताना राइफल्स के हवलदार यशवीर सिंह ग्वालियर में तैनात थे। इसके बाद उनकी पोस्टिंग जम्मू के लिए हो गर्इ थी। पोस्टिंग होने के कुछ दिन बाद ही कारगिल में युद्ध के हालात पैदा हो गए थे। इसलिए उनकी बटालियन को कारगिल में ताेलोलिंग जाने के आदेश हुए। यहां हवलदार यशवीर सिंह ने अपनी बटालियन के साथ दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे। उन्होंने दुश्मनों के तीन बंकरों को नष्ट करने के साथ 50 से ज्यादा दुश्मन सैनिको को मार गिराया था। तोलोलिंग की बमबारी में हवलदार यशवीर सिंह शहीद हो गए। वीर नारी मुनेश ने बताया कि उस समय उनका बड़ा बेटा 12 साल आैर छोटा बेटा नौ साल का था। जब पति का शव यहां पहुंचा, तो वह कर्इ दिनाें तक बेहोशी में ही रही थी। पति के शहीद होने के बाद काफी लोग आए आैर बड़ी-बड़ी बातें की, लेकिन मैंने अपने परिवार को किस तरह पाला, मैं ही जानती हूं। सरकार ने पेट्रोल पंप दिलाने में काफी समय लगाया, तो कंपनी की आेर से खतरा रहता है कि वह कब वापस ले ले। शुरू में पेंशन भी पूरी नहीं मिली। उन्होंने सवाल किया कि क्या देश के लिए शहीद होने के बाद उसके परिवार को यही सम्मान मिलता है।

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