यह भी पढ़ेंः गोवर्धन पूजा के दौरान हुई फायरिंग में फौजी को लगी गोली, मच गया हड़कंप, हालत गंभीर, देखें वीडियो वायु प्रदूषण के लिहाज से 28 अक्टूबर का दिन सबसे खराब रहा। हालांकि दिवाली पर इस बार पिछली बार के मुकाबले कम पटाखे चलाए गए, लेकिन इसके बावजूद पटाखों, वाहनों और पराली के धुएं के कारण लोगों को सांस लेना दूभर हो गया। पीएम 2.5 का स्तर मानक से पांच गुना ज्यादा रहा। सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण मध्यरात्रि में रिकार्ड किया गया।
यह भी पढ़ेंः पुलिस ने बसपा के पूर्व मंत्री और बेटे पर कसा शिकंजा, इस मामले में जल्द हो सकती है गिरफ्तारी दिवाली से पहले वेस्ट यूपी, दिल्ली-एनसीआर में एक्यूआई जहां 300 से कम चल रहा था, वहीं दिवाली के बाद यह चरम पर पहुंच गया है। गाजियाबाद का एक्यूआई 396, नोएडा का 397 ग्रेटर नोएडा का 375, गुरुग्राम का 372, मुरादाबाद का 398 व मेरठ का एक्यूआई 352 रहा। इसके कारण दमा, सांस और टीबी के मरीजों के लिए सांस लेना मुश्किल हो गया। सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डा. वीरोत्तम तोमर का कहना है कि पटाखों से निकलने वाले सल्फरयुक्त रसायन अस्थमा के मरीजों में अटैक का कारण बनते हैं। सांस की नलियों में सूजन करते है। फेफड़ों में ऑक्सीजन रोकने की क्षमता घटती है। सांस के मरीज मास्क लगाकर ही घर से निकलें।
अस्थमा के मरीज ख्याल रखें – अस्थमा व एलर्जी के मरीजों को बाहर न निकलने दें। – बच्चों को भी वायु प्रदूषण से दूर रखें, बाहर न जाने दें। – ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करें, यह प्रदूषणनाशक है।
– सांस व दमा के मरीज मास्क लगाकर ही बाहर निकलें। – घरों की खिड़कियों को दो-तीन दिनों तक बिल्कुल न खोलें। – आंख में खुजली व जलन होने पर ठंडे पानी से धोएं।
– दूध के साथ हल्दी लें, मीठे में गुड़ का इस्तेमाल करें।