यह भी पढ़ेंः चिकित्सक ने प्रसव कराने से किया इनकार तो दूसरे अस्पताल में जुड़वां बच्चों को दिया जन्म, नाम रखे क्वारेंटीन और सैनिटाइजर मेरठ की शाही ईदगाह अपने आप में कई खूबियां समेटे हुए है। इतिहासकार डा. अमित पाठक कहते हैं कि पूरे उत्तरी भारत में ऐसी शाही ईदगाह नहीं है। जिसमें ईंटों पर आयतें लिखी हों, वह भी अरबी भाषा में। बता दें कि 800 साल पुरानी इस शाही ईदगाह का निर्माण 1210 ईसवीं के बीच उस समय दिल्ली की सल्तनत पर काबिज कुतुबुद्दीन ऐबक के कराया था। उस समय कुतुबद्दीन कई बार यहां पर ईद की नमाज पढऩे के लिए आया करता था।
यह भी पढ़ेंः आइसोलेशन वार्ड में मोबाइल फोन पर लगाई गई रोक, कहा- इससे फैलता है कोरोना संक्रमण जानकारों के अनुसार बादशाह घोड़े पर दिल्ली से नमाज पढऩे आता था। उसके साथ पूरा लाव-लश्कर होता था। नमाज पढऩे के बाद यहां पर बड़ी-बड़ी ढेंग चढ़ाई जाती थी और उसमेें गरीबों के लिए भोजन बनाया जाता था। जो आसपास के क्षेत्रों में बांटा जाता था। ईदगाह के भीतर एक साथ 131 सफे बिछ सकती हैं। इसमें करीब 60 हजार अकीदतमंद नमाज अदा कर सकते हैं।
यह भी पढ़ेंः स्कूलों की फीस देने के आ रहे मैसेज पर बच्चों ने सीएम योगी से लगाई गुहार, कहा- हमारे लिए कुछ कीजिए ईदगाह के आसपास का पूरा इलाका सूना पड़ा रहा। ईदगाह के आसपास पुलिस बल तैनात रहा। कारी शफीकुर्रहमान ने कहा कि वे 60 साल से ईदगाह में ईद की नमाज पढ़ते आ रहे हैं। इन 60 साल में पहली मर्तबा ऐसा हुआ जबकि ईदगाह में ईद की नमाज अदा नहीं हुई। उन्होंने कहा पिछले 800 साल में यहां पर बराबर ईद की नमाज अदा होती रही है, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते ऐसा नहीं सका। उन्होंने कहा कि यह समय भी कट जाएगा। लोग अगली बार ईद की नमाज ईदगाह में अदा करेंगे।